
बीकानेर,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के स्वायत्त निकाय बोर्ड ऑफ अपरेंटिसशिप ट्रेनिंग (उत्तरी क्षेत्र), कानपुर और महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के बीच आज एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों के छात्रों को 1-2 सेमेस्टर की अवधि के लिए ‘अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम्स’ के माध्यम से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होगा, साथ ही अंतिम सेमेस्टर में प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को अपरेंटिस अधिनियम, 1961 के तहत स्टाइपेंड का भी लाभ मिलेगा। इस पहल के तहत विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना 2.0 पोर्टल के माध्यम से छात्रों को रजिस्टर करेगा, उद्योगों के साथ त्रिपक्षीय समझौते करवाएगा, तथा परिसर में राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना फैसिलिटेशन सेंटर स्थापित करेगा, जबकि बोर्ड ऑफ़ अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग,जागरूकता कार्यक्रमों, दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन और छात्रों के रोजगार पर निगरानी रखने में सहयोग प्रदान करेगा, जिससे राजस्थान के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा और बेहतर भविष्य के अवसर प्राप्त होंगे।
बोर्ड ऑफ़ अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग, के सहायक निदेशक श्री मानस खवस ने बताया कि “यह साझेदारी राजस्थान के उच्च शिक्षण संस्थानों और छात्रों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसके तहत संस्थान और छात्रों को जोड़ते हुए वार्षिक आउटरीच कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।” वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने जोर देकर कहा कि “हम अपने सभी संबद्ध कॉलेजों को ‘अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम्स’ पाठ्यक्रम स्थापित करने या मौजूदा पाठ्यक्रमों को ‘अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम्स’ में परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, ताकि छात्रों को अपरेंटिसशिप के रूप में उद्योग-प्रासंगिक प्रशिक्षण मिल सके।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के दिशा-निर्देशों, अपरेंटिसशिप नियम 1992 का पूर्णतः पालन सुनिश्चित करेगा, जिसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों को भी शामिल किया जाएगा। यह पहल न केवल छात्रों को व्यावहारिक कौशल प्रदान करेगी, बल्कि उन्हें उद्योग जगत की वास्तविक आवश्यकताओं से भी अवगत कराएगी।