Trending Now












बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान ओर माता धापुदेवी आसदेव परिवार बंबलु वालों की और से शारदीय नवरात्र के पावन पर्व पर नवरात्र पुजा अनुष्ठान शुभारंभ हुआ… उपरोक्त नव दिवसीय “नवरात्र हवन यज्ञ अनुष्ठान” सदग्रहस्थ संत मनुजी महाराज एवं बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज के द्वारा पारीक चोक सुथार मोहल्ला नयाशहर स्थित भागवतबासा भवन प्रांगण मे आज विधि-विधान पूर्वक गणेश नवग्रह सप्तऋषि मंन्ङल का सोङषोपचार पंचोपचार पुजन किया गया….तत्पश्चात गायत्री जप एवं हवन-पूजन एवं साय दुर्गा सप्तसती पाठ इन्द्राक्षी कवच स्रोत बीजमंन्त्रों से नित्य हवन अनुष्ठान किया जा रहा है….बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज ने बताया.. कि नवरात्र मे नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है।उसके रोग, शोक,संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है।कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी. कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो।मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।

इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं।इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है।इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं।ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं।मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।
भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी।यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी।इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है।ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं.. और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है.तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है..व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है.. अनुष्ठान से जुङे नितेश आसदेव ने बताया..कि उपरोक अनुष्ठान मे बीकानेर बंबलु निवासी माता धापुदेवी के पुत्र और हाल मुम्बई के प्रसिद्ध भामाशाह कॉन्ट्रेक्टर रामप्रताप कुंदनराम आसदेव लक्ष्मण आसदेव नवरत्न आसदेव मनोज आसदेव पुनम आसदेव दिनेश आसदेव गोरांश आसदेव एव समस्त बंबलु आसदेव परिवार नवदिवसीय नवरात्र अनुष्ठान के मुख्य यजमान है…..संस्थान की और से नित्य पुजन सेवाश्रम से मदनमोहन मल्ल प्रथ्वीसिंह पंवार नारायण सोनी श्रीकिसन मांङण धीरेन्द्र युवराज मदनमोहन हर्ष आदि जुङे हे.. नित्य कंजक पुजा व्यवस्था हेतु सीमा पुरोहित ममता आसदेव नितेश आसदेव को अनुष्ठान प्रभारी बनाया गया है..

Author