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बीकानेर,गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। मनुष्य अगर गाेमाता को महत्व देना सीख ले तो गाेमाता उसके दुख दूर कर देती है। यह बात दुसारणा गांव के द्वारकाधीश गाेशाला में चल रहे दिव्य गाे कृपा कथा के तीसरे दिन शनिवार को कथावाचिका साध्वी गोपाल सरस्वती दीदी ने कही।

उन्होंने कहा कि गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गाेमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती हैं। गाय का पूजन करके उनका संरक्षण करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जिस घर में गाेपालन किया जाता है उस घर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं। इसके अलावा जीवन-मरण से मोक्ष भी गाेमाता ही दिलाती है। मरने से पहले गाय की पूंछ छूते हैं ताकि जीवन में किए गए पापों से मुक्ति मिले। लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गाेमाता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई, क्योंकि वे पंचगव्य का सेवन करती थीं। लेकिन कृष्ण को पाने के लिए आज लोगों में मीरा जैसी भावना ही नहीं बची।

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