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बीकानेर,देश में पशुपालन का चलन तो तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन आवारा-छुट्टा पशुओं की आंतक भी तेजी से बढ़ रहा है. जब पशुओं से दूध मिलना बंद हो जाता है तो पशुपालन उन्हें खुली सड़कें हांकने के लिए छोड़ देते हैं.

यही बेसहारा पशु सडकों को अपना आश्रय बना लेते हैं. अपना पेट भरने के लिए फिर यही पशु किसानों की खड़ी फसलों को चरने लगते हैं. देश के कई शहरों में तो आवारा पशुओं का आतंक इतना बढ़ गया है कि आए दिन कोई ना कोई दुर्घटना देखने को मिल ही जाती है.

इस समस्या के समाधान के कई राज्य सरकारें सख्त कदम उठा रही है. इन गाय-बैलों को झुंड के लिए गौशाला का इंतजाम किया जा रहा है, लेकिन इनकी संख्या अब इतनी बढ़ रही है कि गौशालाएं तक छोटी पड़ती जा रही हैं. 20वीं पशुधन जनगणना से पता चला है कि देश में अब आवारा-छुट्टा गौवंशों की संख्या 50 लाख से अधिक है.

इन राज्यों का है सबसे बुरा हाल
पशुपालन के क्षेत्र में चाहे जो राज्य आगे हो, लेकिन बड़ी जिम्मेदारी तो पशुओं को संभालना उन्हें आश्रय उपलब्ध करवाना है. बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या से तो यही पता चलता है कि अभी-भी देश में गौशाला या आवारा पशुओं के आश्रय की कमी है.

इस पर मामले पर किसान तक की रिपोर्ट में केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के हवाले से बताया गया है कि देश के करीब 50 फीसदी आवारा जानवर, गाय-बैलों ने तो राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सडकों और खेत-खलिहानों को घेरा हुआ है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यूपी में 5,000 और राजस्थान में 3,000 के करीब गौशालाएं हैं. यहां की राज्य सरकारें भी इन पशुओं के चारे के इंतजाम के लिए 30 से 40 रुपये प्रति पशु के हिसाब से अनुदान देती है.

क्या कहती है पशुधन जनगणना रिपोर्ट
देश में आवारा पशुओं के हालातों को लेकर 20वीं पशुधन जनगणना की रिपोर्ट से सामने आया है कि देश में करीब 50.21 लाख छुट्टा गाय-बैल हैं. सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान में 12.72 लाख, उत्तर प्रदेश में 11.84 लाख, मध्य प्रदेश में 8.53 लाख, गुजरात में 3.44 लाख, छत्तीसगढ़ में 1.85 लाख, महाराष्ट्र में 1.52 लाख, उड़ीसा 1.51 लाख, पंजाब में 1.40 लाख, हरियाणा में 1.28 लाख, पश्चिम बंगाल में 1 लााख बेसहारा गौवंश हैं. इस लिस्ट में कुल मिलाकर 10 राज्यों को शामिल किया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा आवारा पशुओं की तादात है.

23 राज्यों में 25 लाख पशु बेसहारा
पशुपालन और डेयरी विभाग की रिपोर्ट से पता चला है कि करीब 10 राज्यों में छुट्टा गौवंश की संख्या ज्यादा है. वहीं 23 राज्य ऐसे भी हैं, जहां कुल मिलाकर 5 लाख से भी कम पशु बेसहारा है.

इसमें आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडू, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा आदि हैं, जहां आवारा गौवंशों की संख्या 4 लाख 96 हजार 951 है.

इन राज्यों में काबू में हालात
यह तो बात रही उन राज्यों की जहां बेसहारा पशुओं की बढ़ती तादात से लोग चिंता में हैं, लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां पशुओं को यूंही बेसहारा नहीं छोड़ा जाता है. इन राज्यों में 7 उत्तर पूर्वी राज्यों का नाम आ रहा है, जहां ना के बराबर ही पशु सड़कों पर है. आंकड़ों की मानें तो मणिपुर में 2, मेघालय 2,344, मिजोरम 70, नागालैंड 115, अरुणाचल प्रदेश 659, सिक्किम में 57 और त्रिपुरा में 3,361 के करीब ही गौवंश बेसहारा हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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