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बीकानेर,चुनावी वर्ष करीब आने के साथ ही राजस्थान में नए जिले बनाए जाने की मांग दोबारा तेज हो गई है। वर्ष 1956 में 26 जिलों के साथ राजस्थान की स्थापना हुई थी।अब यहां 33 जिले हैं। इस चुनावी साल में 50 से ज्यादा शहर जिला बनने के दावेदारों की फेहरिस्त में शामिल हैं।

राजस्थान में एक नवंबर 1956 को सात चरण पूरा करने के बाद एकीकरण का काम अंजाम तक पहुंच पाया था। तब राजस्थान में 26 जिले बनाए गए और समय-समय पर विकास की दरकार को देखते हुए इनकी संख्या में इजाफा भी किया गया। मौजूदा समय में विकास के लिहाज से पश्चिम से लेकर पूर्व तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक वर्षों से लंबित नए जिलों की मांग एक उम्मीद के साथ सरकार पर निगाहें टिका कर बैठी है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए लगभग एक साल बचा है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब फरवरी में अपना बजट पेश करेंगे तो यह उम्मीद ज्यादा बढ़ गई हैं। आजादी के बाद 30 मार्च 1949 को राजस्थान में एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। तब जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासतों का विलय किया गया। इसी कवायद के तहत सात चरण पूरे करने के बाद एक नवंबर 1956 को प्रदेश का गठन होने पर राज्य में 26 जिले थे। इसके बाद कांग्रेस राज में शिवचरण माथुर के समय 15 अप्रैल 1982 को धौलपुर को 27वां जिला बनाया गया। इसके बाद छह जिले और बने। इसमें भैरोसिंह शेखावत के समय 10 अप्रैल 1991 को बारां, दौसा और राजसमंद, बारह जुलाई 1994 को हनुमानगढ़, 19 जुलाई 1997 को करौली जिले की नींव रखी गई। वसुंधरा राजे के समय 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ को 33वां जिला बनाया गया। तब से पिछले 14 साल में कोई भी नया जिला नहीं बना है।राजस्थान में नए जिलों की मांग की सूची काफी लम्बी हो चुकी है। रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने नए जिलों की मांग वाले शहरों में 50 से ज्यादा जगहों को सूचीबद्ध किया है।चार साल पहले वसुंधरा सरकार के दौर में भी इस सूची में करीब पचास जगह के नाम शामिल थे। तब से अब तक फर्क बस इतना ही आया कि गहलोत राज ने भाजपा सरकार के दौर में गठित कमेटी की सिफारिशों को खारिज कर दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राम लुभाया की अध्यक्षता में एक नई कमेटी बनाकर जिलों की मांग की चर्चा को कायम रखा।

बीजेपी राज में साल 2014 में रिटायर्ड आईएएस परमेश चंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। इसने 2018 में सरकार को रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन गहलोत सरकार ने परमेश चंद कमेटी की रिपोर्ट मानने से इनकार कर दिया और नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करने के लिए रामलुभाया कमेटी बनाई। राम लुभाया कमेटी के कार्यकाल को बढ़ाने के बाद उम्मीद है कि बजट से पहले इस साल के आखिर तक नए जिलों को लेकर सिफारिशें सामने होंगी। 33 में से 24 जिलों में अलग-अलग शहरों से 50 से ज्यादा नए जिलों की मांग इस कमेटी तक पहुंच चुकी है। राजस्थान में नए जिलों को गठित करने से पहले सरकार को अपनी आर्थिक सेहत का भी ख्याल रखना होगा। एक तरफ नए जिलों के लिए बनाई गई कमेटी के प्रमुख राम लुभाया को अलग-अलग इलाकों से विधायक, नेता और मंचों के जरिए मेमोरेंडम सौंपे गए हैं। सरकार पर साढ़े पांच लाख करोड़ रुपए का कर्ज पहले से है। हर नये जिले के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपए तत्काल चाहिए होंगे। इनमें IAS-IPS अधिकारी, स्टाफ और मासिक खर्च अलग से होगा। फिलहाल, जिलों के सैटअप के नजरिए से बाड़मेर का बालोतरा, अजमेर का ब्यावर, नागौर का डीडवाना, जोधपुर का फलोदी और जयपुर का कोटपुतली दौड़ में आगे है।

साल 2023 के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज जाएगी। ढाई दशक में राजस्थान का रिकॉर्ड रहा है कि किसी भी सरकार ने सत्ता में वापसी नहीं की है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास यह एक मौका होगा। इसमें नए जिलों की मांग पूरी कर वे सत्ता में वापसी की राह तलाश सकते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बतौर सीएम यह तीसरा कार्यकाल है और उन्होंने अब तक एक भी नए जिले का गठन नहीं किया है, जबकि उनसे पहले भैरों सिंह शेखावत सरकार और वसुंधरा राजे सरकार में नए जिले बनाए जा चुके हैं।नए जिलों की मांग जनप्रतिनिधियों के लिए भी चुनावी वैतरणी पार करने का एक आसान जरिया है। कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर पिछले साल के बजट के बाद से ही जूते पहनना छोड़ चुके हैं। पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर दूदू के लिए, आलोक बेनीवाल शाहपुरा को जिला बनाने की मांग पर दबाव बनाये हुए हैं। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा उदयपुरवाटी को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। निर्दलीय विधायक महादेव सिंह और बाबूलाल नागर भी खंडेला और दूदू को जिला बनाने के लिए पुरजोर कोशिश में हैं। भरतपुर के नगर से अशोक गहलोत सरकार में रक्षक की भूमिका निभाने वाले वाजिब अली भी उम्मीद लगाए बैठे हैं।
अभी जयपुर में सांभरलेक, शाहपुरा, कोटपूतली, दूदू विराटनगर, सीकर में नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, खंडेला, झुंझुनू में उदयपुरवाटी, अलवर में बहरोड़, भिवाड़ी, नीमराना, बाड़मेर में बालोतरा, गुड़ामालानी, जैसलमेर में पोकरण, अजमेर में ब्यावर, केकड़ी, मदनगंज-किशनगढ़, जोधपुर में फलोदी, नागौर में डीडवाना, कुचामन सिटी, मकराना, मेड़ता सिटी, चूरू में सुजानगढ़, रतनगढ़, श्रीगंगानगर में अनूपगढ़, सूरतगढ़, घड़साना, श्रीविजयनगर, हनुमानगढ़ में नोहर, भादरा, बीकानेर में नोखा, कोलायत, कोटा में रामगंजमंडी, बारां में छबड़ा, झालावाड़ में भवानीमंडी, भरतपुर में डीग, बयाना, कामां, नगर तथा सवाई माधोपुर में गंगापुर सिटी को जिला बनाने की मांग प्रबल है।

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