












बीकानेर,राजस्थान,संयुक्त अभिभावक संघ ने आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत वर्ष 2025–26 के चयनित विद्यार्थियों के दाखिलों में अभूतपूर्व देरी और शिक्षा विभाग की उपेक्षा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संघ ने कहा कि राज्यभर में 44 हज़ार से अधिक चयनित बच्चों को आज तक निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिला, जबकि चयन प्रक्रिया को हुए अब 7 महीने से अधिक समय बीत चुका है। इसके विपरीत, विभाग आरटीई के नए सत्र 2026–27 की घोषणा और जनवरी से आवेदन खोलने की तैयारी कर रहा है, जो बच्चों के भविष्य के साथ एक बड़ा मज़ाक है।
*44,000 चयनित बच्चे आज भी बिना स्कूल!*
शिक्षा विभाग की लापरवाही ने पूरे शैक्षणिक वर्ष को खतरे में डाला, इस वर्ष आरटीई के तहत चयनित 44,090 बच्चे अब तक नामांकन से वंचित हैं। इन बच्चों के सत्र की लगभग 8 माह की पढ़ाई पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। राजधानी जयपुर सहित अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, सीकर, बीकानेर इत्यादि कई जिलों में हजारों पात्र बच्चों को आज तक स्कूल तक की दहलीज नहीं मिली।
संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूल जहां कोई व्यवस्था नहीं है में प्रवेश आसानी से मिल सकता है, लेकिन निजी स्कूलों में आरटीई प्रवेश को लेकर विभाग और निजी संस्थानों की मिलीभगत गरीब परिवारों के हक पर सीधा हमला है।
*विभाग सिर्फ़ नोटिस देकर सो गया — 60 से अधिक निजी स्कूलों को चेतावनी, 7 बड़े स्कूलों की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा… फिर भी दाखिले नहीं!
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि— विभाग 60+ निजी स्कूलों को अंतिम चेतावनी नोटिस जारी कर चुका है। गत माह नवंबर में विभाग द्वारा 7 बड़े निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा भी की जा चुकी है। इसके बावजूद, आज तक एक भी जिले में लंबित बच्चों के दाखिले पूरे नहीं हुए। कार्रवाई ‘सिर्फ कागजों में’ दिखती है—जमीनी स्तर पर शून्य प्रगति।
अभिषेक जैन बिट्टू ने सवाल किया कि अगर विभाग इतनी गंभीर कार्रवाई का दावा करता है, तो एक भी बच्चा अभी तक स्कूलों में क्यों नहीं पहुँचा? अकेले राजधानी जयपुर में 5,000+, बीकानेर : 4,000+, जोधपुर : 3,500+, उदयपुर : 3,000+, कोटा : 2,800+, अजमेर : 3,500+ सहित अन्य जिलों में भी बड़ी संख्या में चयनित बच्चे दाखिले अधर में लटके हुए हैं।
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश विधि मामलात मंत्री अधिवक्ता अमित छंगाणी ने कहा कि* – “44 हज़ार बच्चे आज भी स्कूलों से बाहर हैं और विभाग नए सत्र की तारीखें घोषित करने में लगा है।
यह न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा के अधिकार की खुलेआम धज्जियां उड़ाने जैसा है।
हम पूछते हैं—पहले पिछले सत्र के बच्चों का भविष्य सुधारिए, फिर नया सत्र शुरू कीजिए। अगर तुरंत दाखिले नहीं हुए, तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।”
संयुक्त अभिभावक संघ की प्रमुख माँगें
1. 44,000+ चयनित बच्चों के तत्काल प्रवेश सुनिश्चित किए जाएं।
2. जिला-वार पेंडिंग सूची और जवाबदेही सार्वजनिक की जाए।
3. निजी स्कूलों पर मान्यता रद्द करने सहित कठोर कार्रवाई तुरंत लागू की जाए।
4. पिछले सत्र बकाया चयनित बच्चों को नवीन सत्र 2026–27 में प्रथम वरीयता पर रखकर नई आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जाए।
5. फीस-पुनर्भरण की भुगतान प्रक्रिया तुरंत जारी कर स्कूलों की बाधा खत्म की जाए और किस स्कूल को कितना भुगतान जारी हो रहा है उसकी पूरी स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक की जाए।
संघ की चेतावनी
यदि शिक्षा विभाग लंबित बच्चों के दाखिले 15 दिनों में पूरा नहीं करता और दोषी निजी स्कूलों पर कार्रवाई नहीं करता तो संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेशव्यापी जन आंदोलन, जिला-स्तरीय घेराव और आवश्यक होने पर मानवाधिकार आयोग व न्यायालयीन हस्तक्षेप की ओर बढ़ने को बाध्य होगा।
