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जयपुर/बीकानेर,राजस्थान के माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालयों के लिए शनिवार का दिन बहुत ही खास रहा। महीने के तीसरे शनिवार को नो बैग डे के बजाय चेस डे बना दिया गया। शिक्षा विभाग और शतरंज संघ के प्रयासों तथा शिक्षा मंत्री डॉ बी. डी. कल्ला के आह्वान पर राजस्थान के 36 लाख 13 हजार 169 विद्यार्थियों ने शतरंज की बिसात पर मोहरे चलाते हुए दिन गुजारा।
राज्य के 60 हजार से अधिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों को इस दिन की तैयारी के लिए पिछले एक पखवाड़े से निर्देश दिए जा रहे थे। राजस्थान शतरंज संघ भी शिक्षा विभाग के साथ तैयारियों में जुटा था। शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने शुक्रवार को एक और आदेश जारी कर हर विद्यालय में इस आयोजन को सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए थे।
स्कूलों में बिना बस्ता लिए पहुंचे बच्चों को जब शतरंज की बिसात मिली तो उन्होंने भी इसे हाथों हाथ लिया। इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम के लिए अनुमान किया जा रहा था कि साठ हजार स्कूलों में अगर दो-दो बच्चे भी खेलेंगे तो एक ही दिन में करीब एक लाख बच्चे खेल पाएंगे, लेकिन वास्तविकता में यह हुआ कि 71340 स्कूलों में से 54977 स्कूलों में चेस डे शुरू हुआ। हर स्कूल में शतरंज के बोर्ड पर महज दो नहीं, बल्कि कई बच्चों ने अपनी बारी आने पर मोहरे चलाए।
अरविन्द व्यास, उप निदेशक (स्पोर्ट्स), निदेशालय माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान ने बताया कि शाला दर्पण पर अपलोड जानकारी के अनुसार 36 लाख 13 हजार 169 विद्यार्थी ने शह मात के खेल में अपनी प्रतिभागिता निभाई। इवेंट की व्यवस्था में लगे शिक्षा विभाग, शतरंज संघ और खुद शिक्षा मंत्री के लिए यह आंकड़ा चौंकाने वाला साबित हुआ है।

बिसात के लिए बारी का इंतजार
हमने स्थानीय लेडी एल्गिन स्कूल में जाकर देखा तो पाया कि स्कूल में दस चेस बोर्ड थे, लेकिन वहां मौजूद 60 छात्राओं ने बारी बारी से चेस बोर्ड का इस्तेमाल किया। यही इस खेल की खासियत है कि एक ओर बौद्धिक विकास के लिए उपयोगी है तो दूसरी ओर यह अनुशासन और सामाजिक समन्वय भी सिखाता है। खेल के पहले ही दिन स्कूली विद्यार्थियों ने इसे सिद्ध भी कर दिया। स्कूली खेलों में शतरंज का शामिल होना, पूरे राजस्थान के विद्यार्थियों के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। – एस. एल. हर्ष, अंतरराष्ट्रीय चेस आर्बिटर एवं कोच
आश्चर्यचकित हूं…
इस आयोजन को स्कूलों ने आंदोलन की तरह लिया है। 36 लाख से अधिक विद्यार्थियों का रुझान इस खेल में देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। यह खेल विद्यार्थियों सर्वांगीण विकास के लिए अनुकूल सिद्ध होगा।
आज शिक्षा विभाग ने अपने उद्देश्य प्राप्ति के मिशन आओ स्कूल चले, पढ़ाई करें, शतरंज खेलें की प्राप्ति के लिए पहला कदम बढ़ाकर राज्य की 54977 स्कूलों में 36 लाख 13 हजार 169 विद्यार्थियों को शतरंज की बिसात पर लाकर चेस इन स्कूल कार्यक्रम की शुरूआत की। इस कार्य में भागीदारी निभाकर शिक्षा मंत्री श्री बी. डी. कल्ला ने जयपुर स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मालवीय नगर, जयपुर में इसकी शुरूआत की।
यह खेल विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन, तार्किक चिंतन शक्ति, अपने मोहरों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ने का रण कौशल विकसित करता है। – डॉ. बी. डी. कल्ला, शिक्षा मंत्री, राजस्थान
इस अद्भुत आयोजन के लिए पूरे राजस्थान को बधाई। मैं चाहता हूं इसी तरह देश का हर बच्चा आवश्यक रूप से शतरंज जरूर खेले। वीडियो गेम्स खेल रही पीढ़ी मानसिक रूप से कुंद होती जा रही है, शतरंज का खेल उन्हें विश्लेषण करने योग्य बुद्धि देगा और छात्र फिर से प्रश्न करने लगेंगे। इससे पूरे देश की मेधा में कलेक्टिव वृद्धि होगी।
– डॉ. संजय कपूर, अध्यक्ष अखिल भारतीय शतरंज संघ

शतरंज खेल याद्दाश्त, एकाग्रता, पूर्वानुमान व नियन्त्रण शक्ति को बढ़ाने वाला खेल है। इस अद्भुत आयोजन के लिए पूरे शिक्षा विभाग को बधाई।
– गौरव अग्रवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर

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