बीकानेर,पीबीएम हॉस्पिटल के उपकरणों की मेंटेनेंस भले ही पहले से चार गुना से ज्यादा सस्ती हो गई, लेकिन सिस्टम इतना लचर है कि सौ से ज्यादा उपकरण दो महीने से खराब पड़े हैं।
इसका खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत पीबीएम हॉस्पिटल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पताल और डिस्पेंसरीज के उपकरणों की मेंटेनेंस का काम केटीपीएल कंपनी को सौंप दिया गया है। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों के उपकरणों की मेंटेनेंस के लिए इस कंपनी से करीब 1200 करोड़ का एमओयू सरकार ने किया था। लेकिन कंपनी की परफॉर्मेंस को लेकर डॉक्टर्स परेशान हैं। शिकायत करने पर कंपनी के इंजीनियर केवल चेक करके इतिश्री कर लेते हैं और कॉल अटेंड की रिपोर्ट कर देते हैं, जबकि हकीकत में उपकरण ठीक होने में 15 दिन से एक महीना लग जाता है।
कॉल तत्काल अटेंड करने से कंपनी के खाते में पेंडेंसी शो नहीं होती। क्योंकि किसी भी उपकरण की शिकायत मिलने पर 24 घंटे में उसे ठीक करना जरूरी है। वर्ना कंपनी पर जुर्माने का प्रावधान है। हालात ये है कि संभाग के सबसे बड़े पीबीएम हॉस्पिटल में विभिन्न तरह के उपकरणों की सौ से ज्यादा कॉल तो अटेंड हो गई, लेकिन ठीक अब तक नहीं हुए। हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ के अनुसार 50 मॉनिटर, 20 वेंटिलेटर, चार ईसीजी और छह एबीजी मशीन कई दिनों से खराब है। इनमें से कुछ उपकरण आईसीयू के हैं। वेंटीलेटर पर लेटे पेशेंट की ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट का पता लगाने के लिए एबीजी जांच होती है। यह इमरजेंसी जांच है। प्राइवेट लैब में इसके 1200 रुपए तक लिए जाते हैं, जबकि हॉस्पिटल में फ्री है। केवल एक ही आईसीयू में यह जांच हो रही है। वहां भी वर्क लोड बढ़ गया है।
पीबीएम हॉस्पिटल के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों की कीमत लाखों- करोड़ों में होती है। इसलिए उसकी सीएमसी की जाती है। यानी कॉम्परेटिव मेंटीनेंस कॉन्ट्रैक्ट। यह एक साल से तीन साल के लिए होता है। मशीन की लागत का करीब 12 प्रतिशत तक देना पड़ता है। नई मशीनों की खरीद के दौरान आज भी सीएमसी की जा रही है, जबकि तीन साल पुरानी मशीनों की मेंटेनेंस का काम केटीपीएल को देने के बाद सीएमसी बंद कर दी गई है। केटीपीएल को लागत का करीब तीन प्रतिशत मिलता है, जो पहले से चार गुना तक सस्ता है। इससे मेडिकल कॉलेज को भी बचत हुई, लेकिन मशीनों की मेंटेनेंस प्रॉपर नहीं होने की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। कंपनी की परफॉर्मेंस को लेकर कॉलेज और पीबीएम प्रशासन कई बार असंतोष जता चुका है। पीबीएम में गारंटी पीरियड वाले उपकरणों को छोड़कर बाकी सभी की मेंटेनेंस केटीपीएल कर रहा है। सीएनसी भी नए उपकरणों की ही की जा रही है। कुछ पेंडेंसी है। उपकरण जल्दी ठीक करने को कहा है। -डॉ. प्रमोद कुमार सैनी, अधीक्षक, पीबीएम अप्रैल से अक्टूबर तक प्रदेशभर में 21 हजार कॉल लॉग हुआ, जिसमें से अब सौ ही पेंडिंग रह गई हैं। विदेशी उपकरणों में समय लगता है। सरकारी अस्पतालों में उपकरणों का रख रखाव भी सही नहीं है, जिससे ज्यादा खराब होते हैं।