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बीकानेर,विश्व का बड़ा लोकतांत्रिक देश है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत औऱ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जो व्यवहार है उसे राजनीति करने वाले नई पीढ़ी को आत्मसात करना चाहिए। यही तो लोकतंत्र है। दोनों नेताओं ने लोकतंत्र में राजनीतिक परिपक्वता की मिसाल पेश की है। अशोक गहलोत कांग्रेस की लंबी राजनीति में कांग्रेस विचार धारा औऱ पार्टी के प्रति निष्ठा पर कभी सवाल नहीं उठा। वे कांग्रेस के प्रति अडिग हैं। मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत ने जनता के लिए जो काम किए हैं उन कामों की जनता ही मुक्तकंठ से प्रशंसा नहीं करती विरोधी भी मानते हैं। जन विकास की उनकी नीतियों और योजनाओं को कई स्तरों पर अन्य जगह भी अपनाया गया है।। मोदी-गहलोत ने जीवनभर लोकतंत्र के लिए राजनीतिक साधना की है। वे नीचे से जनता के बीच रहकर ऊपर उठे हैं। जनता की रग को समझते हैं। यह उन नेताओं और राजनीतिक दलों की क्षुद्र दृष्टि हैं कि दोनों नेताओं के परिपक्व व्यवहार के इतर मायने निकालते हैं। गहलोत ने मोदी व केंद्र सरकार की जमकर आलोचना भी की है, परन्तु यह आलोचना राजनीतिक सिद्धान्तों औऱ खामियों की ही हुई है। आज के नेता में सकारात्मक राजनीतिक दृष्टिकोण की नितांत कमी है। ऐसे नेता देश में लोकतंत्र के हित में गहलोत- मोदी से सकारात्मक राजनीति की शिक्षा लें। तभी इन दोनों की तरह वे राजनीतिक ऊंचाइयां छू सकेंगे। आज भारतीय लोकतंत्र के प्रति राजनीतिक दलों और नेताओं को विश्वसनीयता बढ़ाने की जरूरत है। भले ही हम किसी राजनीतिक पार्टी के हो आपसी भरोसा ही लोकतंत्र को मजबूत करेगा। नेताओं को राजनीतिक में क्षुद्रता को छोड़कर सकारात्मक सोच के साथ राजनीति करने की जरूरत है। मोदी-गहलोत यही कर रहे हैं – देख लो इनका कद कितना बड़ा है।

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