बीकानेर, पशुओं को पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक चारा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे चारागाह विकास कार्य जिले में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के आर्थिक सम्बलन का जरिया भी बन रहे हैं।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि चारागाह विकास का कार्य राजीविका की महिलाओं के माध्यम से करवाया जा रहा है। इससे इन समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार का नया मार्ग भी खुल सका है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत इस वित्तीय वर्ष में जिले में 486.32 हैक्टेयर भूमि पर 19 नए चारागाह क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। इन कार्यों के लिए जिले के नौ पंचायत समिति क्षेत्रों में 766.67 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि इन चरागाहों में खेजडी, सहजन, ग्वारपाठा, रोहिड़ा, सहित बड़ी संख्या में अन्य पौधे लगाए जा रहे हैं। इन पौधों की देखरेख का जिम्मा राजीविका की महिलाओं को दिया गया है।
उन्होंने बताया कि बंजर भूमि विकास की दिशा में ये माडल चारागाह अहम साबित होंगे। अन्य ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी इससे प्रेरित होंगे।
जिला कलक्टर ने बताया कि बीकानेर पंचायत समिति की स्वरूपदेसर, उदयरामसर, बदरासर, कालासर, हुसंगसर, नालबड़ी, श्रीकोलायत की रावनेरी और दियातरा, पांचू की चिताना और जांगलू, पूगल की थारुसर और महादेववाली, श्रीडूंगरगढ़ मोमासर तथा लूणकरणसर की खियेरां और ढाणी पाण्डुसर में चारागाह विकास के कार्य करवाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में 594929 हैक्टेयर बंजर व चारागाह भूमि उपलब्ध है।
जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नित्या के. ने बताया कि ज़िले में ग्वारपाठे के 35 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। वहीं प्रत्येक चारागाह में सहजन के एक-एक हजार पौधे लगाए जा रहे हैं। चारागाह विकास के इस कार्य से राजीविका की महिलाओं को जोड़ने के बेहतर परिणाम आ रहे हैं।