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बीकानेर,राजस्थान गोचर ओरण संरक्षण और विकास का देश में माडल माना जा सकता है। प्रदेश में ज्यादातर गोचर ओरण के संरक्षण और विकास का काम समाज के ही हाथ में है। लोग पुण्य का काम समझकर परम्परा से गोचर ओरण की रक्षा में जुटे हुए हैं। सरकारें और प्रशासन इस संपदा के प्रति बेरूखी का रवैया है। इसकी महत्ता और उपादेयता के प्रति आखें मूंदी हुई है। इससे गोचर ओरण संपदा का निरन्तर ह्रास हो रहा है। समाज के लोग बखूबी इसकी रक्षा के काम में जुटे हैं। राजस्थान में गोचर का काम करने वाले प्रभावशाली प्रतिनिधि लोगों का बड़ा संगठन बन गया है। प्रदेश भर से इस क्षेत्र में कार्यरत लोग सरकार पर इस बात का दवाब बनाने में कामयाब रहे हैं कि प्रदेश में गोचर ओरण और बहाव क्षेत्र की भूमि अपने मूल स्वरुप में कायम रहे हैं। भादरिया राय जैसलमेर, कोलू बाप की ओरण परिक्रमा, जाखण जोधपुर का गोचर विकास, पाली गोचर ओरण बैल गाड़ी यात्रा, सरेह नथानियां के गोचर संरक्षण के लिए 40 किलोमीटर की चारदीवार का निर्माण बीकानेर शहर के आस पास की कमोबेश 45 हजार बीघा गोचर जिसमें गंगाशहर, भीनासर, देशनोक, गाढवाला, नापासर समेत अन्य स्थल पर जनता की ओर से संरक्षण और विकास का काम देखने, समझने और सहयोग करने लायक है। गोचर संरक्षण के लिए भीनासर गोचर आन्दोलन कभी पूरे देश में गोचर के प्रति जागरण का प्रतीक बना था। आज सरेह नथानिया गोचर को देश में गोचर संरक्षण और विकास का माडल बनाया जा रहा है। राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश में जहां जहां ओरण गोचर पर से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए है। गांवों में गोचर ग्राम पंचायत के क्षेत्राधिकार में है। गोचर सार्वजनिक रूप से गायों को चराने का स्थल है। राजस्थान में 9 लाख हेक्टेयर से अधिक गोचर भूमि है। इसमें से 3 लाख हेक्टेयर पर अतिक्रमण बताया जा रहा। देवी सिंह भाटी के नेतृत्व में गोचर संरक्षण और विकास को लेकर प्रदेश स्तर का सम्मेलन में समीक्षा की गई और राजस्थान सरकार को राज्य भर में गोचर, ओरण की वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया गया है। बीकानेर शहर के आस पास 45 हजार बीघा गोचर भूमि है। सरेह नथानिया गोचर संरक्षण और विकास मॉडल देवीसिंह भाटी के नेतृत्व में चल रहा है। गोचर की सुरक्षा के लिए 40 किलोमीटर में दीवार बनाई जा रहा है। वहीं गोचर में चारागाह विकास और जल संरक्षण का काम भी किया जा रहा है। राजस्थान को माडल मानकर इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सम्मेलन से देश में गोचर विकास और सरक्षण के काम को बड़ा मंच देने की तैयारी की गई है। डा.वल्लभ भाई कथिरिया जो गोचर बोर्ड के गुजरात में अध्यक्ष भी रहे हैं उन्होंने भी गुजरात में गोचर संरक्षण और विकास के माडल तैयार किए हैं। राजस्थान में गोचर संरक्षण और विकास पर जन आंदोलन के अगुवा पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, पदम श्री गोचर विकास के पुरोधा लक्ष्मण सिंह जी लापोडिया जयपुर,, प्रकाश व्यास जोधपुर, जुगत सिंह फलोदी,आईवीर पतावत सिह जैसलमेर, आईवीर पतावत सिह जैसलमेर, हाथीसिंह मुलाना जैसलमेर, कान सिंह निर्बाण सीकर, एडवोकेट हनुमान सिंह पालवास सीकर, सुमेर सिंह सांवता जैसलमेर, गोचर ओरण संरक्षण संघ राजस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष निर्मल कुमार बरडिया बीकानेर, गोचर ओरण संरक्षक संघ राजस्थान के सूरजमाल सिंह नीमराना, ललित जैन, रंजीत जैन पाली,चतरसिंह जाम जैसलमेर,नटवर थानवी जोधपुर,,एडवोकेट मोती सिंह राजपुरोहित जोधपुर, एडवोकेट मानवेंद्र सिंह भादरिया, करणी माता ओरण संरक्षक के एडवोकेट कैलाश देपावत देशनोक, एडवोकेट बृजमोहन चारण छाप्पर ओरण चुरु, राजेंद्र सिंह किल्चू अध्यक्ष सरे नाथानिया गौचर, बंसीलाल तंवर व कैलाश सोलंकी बीकानेर गोचर,,भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश भाई शाह, जीसीसीआई के राष्ट्रीय सह संयोजक पत्रकार हेम शर्मा बीकानेर सहित हर प्रदेश से गोचर पर काम करने वाले प्रतिनिधि लोग प्रदेश संगठन की ताकत है और राजस्थान में गोचर विकास माडल के हिस्से हैं।
गोचर विकास और संरक्षण की राष्ट्रीय नीति पर विचारः-
देशभर में गोचर संरक्षण और विकास विषय पर 15 सितम्बर को राष्ट्रीय वेविनर आयोजित होगी। इसमें गुजरात गोचर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डा. वल्लभ भाई कथिरिया, राजस्थान में गोचर संरक्षण और विकास पर जन आंदोलन के अगुवा पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, प्रकाश व्यास, लक्ष्मण सिंह लापोडिया, जुगल सिंह , गिरीश भाई शाह समेत हर प्रदेश से गोचर पर काम करने वाले प्रतिनिधि लोग शामिल होंगे। इस दौरान गोचर विकास और संरक्षण की राष्ट्रीय नीति पर विचार किया जाएगा। वेवीनार 15 सितम्बर 2024 को पूर्वान्ह 11 बजे gcci के मंच से होगी। इसमें gcci के अभी राज्यों के प्रतिनिधि , राष्ट्रीय कार्यकारिणी और गोचर, ओरण बहाव क्षेत्र और चारागाह विकास पर काम करने वाले देश के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है। वेवीनार 11 से 1 बजे तक चलेगी। प्रथम भाग में 45 मिनट का समय gcci के अध्यक्ष डा वल्लभ भाई कथिरिया, gcci राष्ट्रीय सलाहकार राजस्थान के पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी तथा दो अन्य वक्ताओं का रहेगा। दूसरे चरण में 45 मिनट इस क्षेत्र में काम करने वाले प्रमुख लोग अनुभव सांझा करेगे। तीसरे चरण में 30 मिनट सुझाव, समस्याएं और शंका निवारण के लिए रखा गया है। इस राष्ट्रीय वेवीनार का उद्देश्य 1 गोचर संरक्षण और विकास की राष्ट्रीय नीति बनाना। 2 देशभर में इस विषय पर काम करने वाले लोगों को संबल देना और एक मंच पर लाना। 3 देश में गोचर संस्कृति की पुर्नस्थापना , संरक्षण और विकास का भारत सरकार को प्रस्ताव देना। 4
गोचर विकास और संरक्षण की राष्ट्रीय नीति पर विचार किया जाएगा। देशभर से गोचर, ओरण, चारागाह भूमि, बहाव क्षेत्र को पशुधन चारागाह उत्पादन के क्षेत्र के रूप में सुरक्षित रखने और इन क्षेत्रों को पशुधन आधारित संपदा के रूप में विकसित करने की पहल का प्रस्ताव भारत सरकार और राज्य सरकारों को भेजा जाएगा। भारत में गोचर संस्कृति की पुर्नस्थापना की अलख जगाई जाएगी। गोचर भारतीय जीवन संस्कृति है जिससे गो दूध रूप में अमृत देती है और गोबर गो मूत्र धरती का पोषण करते है जो आज प्राकृतिक खेती का पुनः आधार बन सकता है।

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