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बीकानेर,जिले में युवा हर घंटे औसतन 40 बार मोबाइल देख रहे हैं। रात 10 बजे से सुबह 3 बजे तक के समय में सबसे अधिक मोबाइल उपयोग में ले रहे हैं। महिलाएं खाली समय में ही मोबाइल का उपयोग कर रही हैं। वहीं पुरुष जरूरत पडऩे पर ही मोबाइल छू रहे हैं। बुजुर्ग मोबाइल से परहेज कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि महिलाएं और बच्चे भी तेजी से मोबाइल फोबिया का शिकार हो रहे है। जानकारों के अनुसार 20 से 30 साल के बीच के युवाओं को एक गलत लत लग रही है। काम न होने के बावजूद भी वे मोबाइल को स्क्रॉल कर रहे हैं। गेम खेल रहे हैं या फिर दोस्तों से चैटिंग कर रहे हैं। यानी मोबाइल का उपयोग पढ़ाई या फिर ज्ञान जुटाने के काम के लिए कम किया जा रहा है। रात में पांच से छह घंटे तक मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं। वहीं 35 से 45 साल कि महिलाएं काम के समय ही मोबाइल देख रही हैं। रात में वे मोबाइल का ज्यादा प्रयोग कर रही हैं। अधिकतर बुजुर्ग मोबाइल से दूरी बनाए हुए हैं। वे बहुत जरूरत होने पर ही मोबाइल छू रहे हैं। गौरतलब है कि बीते कुछ समय से मोबाइल के अधिक उपयोग से दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। लत हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव डाल रही है। हमें मानसिक रूप से कमजोर बना रही है। कुछ पल के लिए मोबाइल से दूरी युवाओं को बेचैन कर दे रही है। हर पल बिना काम के भी मोबाइल देखने की उनकी आदत बन गई है।

अभिभावक टोकने से डरते हैं
अधिकत्तर अभिभावक बिना जरूरत ही बच्चों को मोबाइल दिला देते है,कुछ दिन बाद यह मोबाइल इनकी लत बना जाता है। जिसे वे चाहकर भी नहीं छुड़ा पाते। यह बात जानते हुए भी कि उनके बच्चे के लिए मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बीमारी का कारण बन सकती है। अधिकतर अभिभाव इस बात से भी डरते हैं कि मोबाइल के उपयोग से मना करने पर बच्चा कहीं गलत कदम न उठा ले।

दस में से आ रहे सात मरीज
मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि मोबाइल फोन की लत के कारण आपको मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, टूटे हुए रिश्तों और पारिवारिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा बच्चों के लिए यह घातक ही साबित हो रहा है। यह हमारी सोच और रचनात्मक क्षमता को कम करता है। मोबाइल फोन या स्मार्टफोन का आविष्कार चीजों को सुलभ बनाने और संचार को बेहतर बनाने के लिए किया गया था, जबकि यह कई मानसिक समस्याओं का कारण बन रहा है। उन्होंने बताया कि लोगों को अधिक से अधिक स्क्रीन से दो घंटे से अधिक नहीं देखनी चाहिए, लेकिन पांच घंटे तक देख रहे हैं। इससे सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, अनिद्रा, आंखों की परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में दस में से सात मरीज इसी की शिकायत ले पहुंच रहे हैं।

यूं बनाएं दूरी,दूसरों को भी प्रेरित करें
-हर का हर सदस्य एक संकल्प ले और कुछ समय के लिए सभी सदस्य मोबाइल को स्वीच ऑफ कर दो से तीन घंटे के लिए एक जगह रख दें। धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
– संचार के साधन पहले भी थे। जिन्हें आपकी जरूरत होगी वे किसी न किसी माध्यम से आप तक पहुंच जाएंगे। इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
– सभी अपनों को यह जानकारी भी दें कि वे निर्धारित समय में मोबाइल स्वीच ऑफ रखते हैं।
– खुद सुधरेंगे तो बच्चे भी सुधर जाएंगे।
– बहुत जरूरत होने पर ही मोबाइल का उपयोग करें।
– बच्चों को प्यार से समझाएं। उन्हें कुछ ऐसा काम बताएं जो उनके मन का हो और वे धीरे-धीरे मोबाइल से दूर हों।

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