बीकानेर,जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके मोबाइल फोन का रात के अंधेरे में इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है। देश-विदेश के विभिन्न अध्ययनों की मानें तो मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल शरीर के कई अंगों पर दुष्प्रभाव डालता है। हालांकि यह बात और है कि खतरे से वाकिफ होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग मोबाइल को हमेशा चिपकाए रखते हैं। फिर यह चाहे दिन हो या रात। चिकित्सकों की मानें तो रात में सोते समय कमरों में लाइट बंद करने के बाद मोबाइल का इस्तेमाल आंखों के लिए बहुत घातक है। अंधेरे में मोबाइल देखने से आंखों की रोशनी जाने तक का खतरा है। पीबीएम नेत्र चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ.मुरली मनोहर के अनुसार रात में अंधेरे में मोबाइल का इस्तेमाल आंखों के रेटिना पर बुरा प्रभाव डालता है। आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है। ज्यादा देर मोबाइल चलाने से आंखों में रेडनेस की समस्या पैदा हो जाती है, आंखों पर स्ट्रेस पड़ता है। इससे आपकी आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हो सकते हैं। धीरे-धीरे रोशनी कम होने लगती है। अन्त में आंखों की रोशनी जा भी सकती है।
ऐसे करें बचाव
डॉ.मुरली मनोहर के अनुसार कंप्यूटर व मोबाइल पर लगातार काम करने वालों को नियमित रूप से लुब्रिकेंट आई ड्रॉप डालनी चाहिए। मोबाइल या कंम्यूटर पर काम करते समय एक मिनट में 17 बार पलक झपकनी चाहिए। 8 या 10 बार झपकती है तो मोबाइल का असर शुरू हो गया। सूखापन आने से आंखों का पानी सूखने लगता है। कुछ सैकंड का ब्रेक लेना चाहिए। हर 15 से 20 मिनट में मोबाइल को दूर रखें और पानी पीएं।
ये पड़ता है असर
उन्होने बताया कि ज्यादा मोबाइल देखने से आंखों की फोकसिंग मसल्स के अलावा शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी बुरा असर। ब्रेन तक सिग्नल से जाने वाली ऑप्टिक तंत्रिका पर असर। इतना ही नहीं ग्लूकोमा (काले मोतिया) का खतरा बढ़ता। आंखों की पुतलियां और नसें भी सिकुडऩे लगती हैं। चश्मे का नंबर भी बढऩे लगता है।