
बीकानेर,विधानसभा के कुछ सदस्यों द्वारा आपातकाल में लोकतंत्र सेनानियों पर हुए अत्याचारों की तुलना किसान आंदोलन से करने पर शुक्रवार को बीकानेर पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास ने विधानसभा में गहरी नाराजगी जताई।
लोकतंत्र सेनानियों से जुड़े विधेयक पर अपनी बात रखते हुए विधायक ने कहा कि कुछ सदस्यों द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को किसान आंदोलन से जोड़कर पेश किया गया रहा है, जो कि पूर्णतया गलत है। उन्होंने कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र सेनानियों के परिवार जनों पर जिस तरह के जुल्म हुए किसान आंदोलन में ऐसा कुछ भी घटित नहीं हुआ।
उन्होंने बीकानेर भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे तथा लोकतंत्र सेनानी रिखब दास बोड़ा पर हुए अत्याचार पर बोलते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान जब पुलिस उनके घर उन्हें गिरफ्तार करने आई तो, वे घर पर नहीं थे तो तत्कालिक सरकार ने उनकी पत्नी को घसीटकर जेल में डाल दिया। उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई तथा उनके बच्चे दाने-दाने का मोहताज हो गए।
उन्होंने लोकतंत्र सेनानी गेवरचंद जोशी के बारे में बताते हुए कहा कि गेवरचंद जोशी उस समय विद्युत विभाग के कर्मचारी थे। तात्कालिक परिस्थितियों का विरोध करने पर उन्हें सरकारी नौकरी से निलंबित कर दिया गया उनकी पेंशन तक रोक दी गई, जिससे उनके परिवार की स्थिति बेहद खराब हो गई।
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे ओम आचार्य के योगदान को याद करते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान उनके पैर की हालत खराब कर दी। इस कारण अंतिम समय तक वे सही तरीके से चल नहीं पाए।
उन्होंने कहा कि कोई भी नेता अपने क्षेत्र में जाकर दोनों की तुलना नहीं करें, अन्यथा अगले चुनाव में हुए उनकी जमानत जब्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों पर कितने कुठाराघात किए, यह जनता जान चुकी है।
विधायक ने मांग रखते हुए कहा कि जिन लोकतंत्र सेनानियों के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकार द्वारा उन्हें अतिरिक्त आर्थिक सहयोग दिया जाए।