बीकानेर,नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने आज राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेते हुवे कई मुद्दे उठाए । विधायक बिश्नोई ने स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर (संशोधन) विधेयक 2020 की चर्चा में भाग लेते हुवे कहा कि* यह संशोधन कुलपति की गरिमा कम करने के लिए लाया गया है जो बिल्कुल गलत है ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में कृषि के छात्र पड़ते है, जो चार साल की डिग्री करने इंटरशिप के बाद कृषि स्नातक, स्नातकोत्तर, एमएससी, पीएचडी करते जो कृषि के क्षेत्र में तकनीकी रूप से दक्ष होते है इसलिए आरपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली कृषि व्याख्याता भर्ती में बीएड की अनिवार्यता की गई है जो इस विश्वविद्यालय में पढ़े छात्रों के साथ कुठाराघात है और बड़ी नाइंसाफी है । हाइकोर्ट ने भी इस सम्बंध में निर्देशित किया है । इसलिए सरकार को बीएड की अनिवार्यता खत्म करनी चाहिए । साथ ही रिक्त पदों को भरा जाए ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि कृषि विभाग की विभिन्न भर्तियो में साक्षात्कार का हिस्सा 40 प्रतिशत कर रखा है जो गलत है इस कम करके 12.50 प्रतिशत किया जाए । कृषि विश्वविद्यालय में प्रवेश हेतु जेट परीक्षा की फीस 2850 है जो देश में सबसे ज्यादा है उसे कम किया जाए ।
विधायक बिश्नोई ने की इस विश्वविद्यालय में होम साइंस कॉलेज व महिला होस्टल के पास वाली कॉलोनी में उद्योगिक क्षेत्र का गंदा पानी फैला रहता है जिससे आस पास के क्षेत्र की बहुत दुर्दशा है इसका समाधान किया जाए ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि श्रीगंगानगर में एग्री बिसनेस मैनेजमेंट कॉलेज खोलने का प्रस्ताव विभाग को मंजूरी के लिए भेजा है जो अभी मंजूर नही है । फिर भी एडमिशन शुरू कर दिए है और प्रत्येक छात्र से दो दो लाख रुपये फीस लेनी शुरू कर दी, इस और ध्यान देना चाहिए ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में किसान के बेटे पढ़ते है जिसकी फीस प्रति सेमेस्टर 15000 है और पेमेंट फीस के रूप में बीएससी एग्री छात्रों से 65000 प्रति सेमेस्टर, एमएससी में 75000 प्रति सेमेस्टर, पीएचडी में 90000 प्रति सेमेस्टर ली जा रही है जो गलत है विश्वविद्यालय शिक्षा दे रहा है या डिग्रियां बेच रहा है ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि अकाल की बड़ी विभीषिका है, बरसात बहुत ही देर से हुई है, “का वर्षा जब कृषि सुखाने” । उस बरसात का क्या फायदा जब कृषि सुख जाए ।
बीकानेर संभाग, जोधपुर संभाग में भारी अकाल है , इस पर तुरन्त ध्यान दे और अकाल घोषित करे और स्पेशल गिरदावरी करवाई जाए । पशु चारा शिविर खोले जाए ।
बिश्नोई ने कहा कि किसानों ने खेत भेळ दिए है । उजड़े और वीरान खेतो के फोटो वीडियो वायरल हो रहे है, जिन्हें देखकर आंखे भर आती है ।
देखा बीकानेर का खेत……
ये धरती कितना देती है, यह पन्त ने बोला था ।
पढ़कर में मस्त हुआ, जब पहला पन्ना खोला था ।
इस कविता को सच्ची माना, मैं भी कितना भोला था । देखा हाल जब इस मरुधरा का, दिल मे एक फफोला था
आंखे मली हुवे जब चेतन ।
देखा बीकानेर का खेत……
तेरे जयपुर/भरतपुर/अजमेर बोए बीज उगे थे, फलियों तक लहराए थे ।
मेरे (बीकानेर ) बोए बीज उगे पर, उगते ही मुरझाए, अब तो पूरे झुलसे है,
खेती वाले घर मे मातम,व्यापारी, सारे हुलसे है ।
जैसा गला दिया हो रेत ।
देखा बीकानेर का खेत ……
*विधायक बिश्नोई ने राजस्थान माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2021 की चर्चा में भाग लेते हुवे कहा कि* मंत्री जी जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह सुझाव दे कि पेट्रोल व डीजल को जीएसटी में शामिल करें क्योंकि राजस्थान में पड़ोसी राज्यो से डीजल के भाव ज्यादा है और राजस्थान में डीजल माफिया बहुत फेल रहे है । जिससे कानून व्यवस्था भी बिगड़ी हुई है सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए ।
*विधायक बिश्नोई ने राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक2020* की चर्चा में भाग लेते हुवे कहा कि राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर में कुलपति की नियुक्ति के लिए जो विधेयक में संशोधन किया गया है यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुरूप नहीं है ।
इस विधेयक को माननीय विधानसभा के सदन पटल पर इसलिए रखा गया है कि राज्य के सभी राजकीय विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति के लिए एक समान योग्यता होनी चाहिए जबकि राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के लिए जो यह विधेयक लाया गया है इसमें कुलपति की नियुक्ति के लिए योग्यता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमो से बिल्कुल भिन्न है।
इस विधेयक में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर में कुलपति पद के लिए किसी भी विश्वविद्यालय महाविद्यालय में आचार्य के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव रखने के साथ-साथ कम से कम 3 वर्ष का अनुभव देश में से किसी भी महाविद्यालय में फैकल्टी चेयरमैन या डीन के रूप में तीन वर्षों का अनुभव होना अनिवार्य है ऐसा करने से यह विश्वविद्यालय कुलपति की नियुक्ति के लिए बिल्कुल अलग तरीके से योग्यता निर्धारण रखेगा ना कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के बताए गए नियमों के अनुसार।
राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के इस विधेयक में संशोधन के साथ जो यह विधेयक प्रस्तुत किया गया है उसकी मूल अवधारणा को ही नष्ट कर दिया गया है मूल अवधारणा थी कि राजस्थान के सभी वित्त पोषित राजकीय विश्वविद्यालय में एक समान कुलपति की नियुक्ति के लिए योग्यता निर्धारित की जाए जबकि कृषि विश्वविद्यालयों के लिए जो विधायक सदन के पटल पर रखा गया है उसमें भी कुलपति की नियुक्ति के लिए कम से कम 10 वर्षों का प्रोफेसर पद का अनुभव रखा गया है तथा कृषि विश्वविद्यालय में डीन डायरेक्टर आदि पदों की योग्यता को नहीं माना गया है जबकि वेटरनरी विश्वविद्यालय में 10 वर्षों के प्रोफेसर पद के अनुभव के साथ साथ 3 वर्षों का डीन के रूप में अनुभव होना इस पद के लिए जरूरी माना गया है अतः यह विधेयक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के अनुरूप नहीं है इसे पारित नहीं किया जाए।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि मेडिकल चिकित्सक व वेटरनरी चिकित्सक दोनों एक ही परीक्षा देकर दोनों ही 4 साल की डिग्री करके व दोनों ही छह माह की इंटरशिप करके तकनीकी दक्षता हासिल करते हैं लेकिन मेडिकल चिकित्सकों को ₹14000 मिलते हैं और वेटरनरी चिकित्सक को मात्र ₹3500 मिलते हैं इसके अलावा आयुष चिकित्सक को ₹22000 मिलते हैं यह भेदभाव खत्म होना चाहिए और वेटनरी चिकित्सकों को मेडिकल चिकित्सकों के सामान मिलना चाहिए मेडिकल चिकित्सक तो 1 वर्ष में हजारों निकलते हैं लेकिन वेटरनरी चिकित्सक 1 साल में मात्र 240 निकलते हैं इसलिए यह भेदभाव खत्म करते हुए मेडिकल चिकित्सकों के समान वेतन मिलना चाहिए । मेडिकल चिकित्सकों का 7000 से बढ़ाकर 14000 पिछले साल किया लेकिन वैटनरी चिकित्सकों का 10 साल से एक भी रुपए नहीं बढ़ा है जो सरासर गलत है इसलिए सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए दिल्ली के न्यायालय ने भी कहा है वेटनरी चिकित्सक किसी भी मामले में अलग नहीं है ।
इसके अलावा विश्नोई ने कहा की आरपीएससी में जो भर्तियां अटकी है उन भर्तियों को क्लियर करके सभी रिक्त पदों को भरा जाए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सकों की बहुत आवश्यकता रहती है । क्षेत्र में 15 पशु चिकित्सालय है उनमें 3 ए श्रेणी के चिकित्सालय है लेकिन वहां आधे से ज्यादा पद रिक्त है । 1 चिकित्सालय में एक ही चिकित्सक होने के कारण सारे काम उन्हें करने पड़ते हैं । जिसके कारण एफएमडी का अभियान भी सफल नहीं हो पाता ।
मैंने नोखा चिकित्सकों की बैठक ली तो पता चला कि वेक्सीन रखने के लिए चिकित्सालय में डी फ्रिज या फ्रिज नहीं है तो मैंने वहां विधायक कोष से फ्रीज देने की बात कही तो किसी भी चिकित्सक ने फ्रीज देने की बात नहीं की क्योंकि वहां चिकित्सालय में विद्युत कनेक्शन ही नहीं है फिर भी मैंने विधायक को से वहां फ्रिज दिए ताकि टीकाकरण का अभियान सफल हो सके ।
किसी भी चिकित्सालय में खुद का स्वामित्व नही है उन्हें अभी तक पट्टा नहीं मिला है इसलिए मंत्री जी से मांग है कि जिला प्रशासन के साथ मिलकर तुरंत सभी चिकित्सालयों को पट्टे जारी किए जाए ताकि सरकारी पैसा वहां लग सके और पशु विभाग के चिकित्सालय को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके ।