बीकानेर नोखा,विधायक बिश्नोई ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था चौपट है, लूट, गैंगवार, फिरौती, डकैती, बजरी माफिया चर्म पर है । अपराधियों में डर आमजन में विश्वास यह कंही भी चरितार्थ नही हो रहा है । जिस तरह जलदाय व ऊर्जा विभाग में काम ठेके पर चल रहे है उसी तरह थाने भी अब ठेके पर चलने लगे गई जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ना स्वभाविक है । एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान महिला अत्याचार, दलित अत्याचार, बलात्कार में प्रथम स्थान पर है । कानून की स्थिति में लॉ अभिन्न अंग है । अगर अधिवक्ता को अपने दायित्व निर्वहन में मौत मिलती है तो प्रदेश की स्थिति चिंताजनक है । पूरे प्रदेश में हजारों अधिवक्ता 9 दिन से हड़ताल पर है और धरना दे रहे है अधिवक्ता सरंक्षण कानून लागू करने की मांग कर रहे है । कांग्रेस में घोषणा पत्र में यह कानून लागू करने की बात कही थी लेकिन अभी तक इसे लागू नही किया गया है । इस एक्ट के ड्राफ्ट बना हुआ है । सरकार को इसे विधानसभा में लाकर पास करवाकर तत्काल लागू करना चाहिए ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि बीकानेर जिले में लम्बे समय से हाइकोर्ट बेंच खोलने की मांग की जा रही है 2009 में बीकानेर संभाग के अधिवक्ताओ का लगातार 120 दिन तक लम्बा धरना चला था और प्रत्येक माह की 17 तारीख को वर्क सस्पेंड रखते है । तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि जब भी कोई हाइकोर्ट बेंच खोलेंगे सबसे पहले बीकानेर में खोलेंगे । बीकानेर में आजादी से पहले हाइकोर्ट बेंच थी जो 1950 तक चली फिर जोधपुर शिफ्ट हुई थी । हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने उदयपुर में वर्चुअल हाइकोर्ट बेंच उदयपुर में खोलने हेतु राज्य सरकार से प्रस्ताव भिजवाने की बात कही थी । इसलिए सरकार से मांग है कि वर्चुअल हाइकोर्ट बेंच बीकानेर में भी खोलने का प्रस्ताव भेजा जाए ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि बीकानेर में हाइकोर्ट के आदेश नही चलते कल्ला कोर्ट के आदेश चलते है । ईसीबी कॉलेज के 18 अशैक्षणिक कार्मिको को बिना कारण हटा दिया और कार्मिको पक्ष में सिंगल बेंच ने निर्णय पर स्टे कर दिया लेकिन उस आदेश को कॉलेज प्रशासन द्वारा नही माना जा रहा है । कार्मिक 6 फरवरी से महावीर रांका के नेतृत्व में हड़ताल पर है अभी भी प्रशासन द्वारा कार्यवाही नही की गई है कल कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि आगामी 20 मार्च तक हाइकोर्ट के आदेश की पालना की जाए अन्यथा शख्त कार्यवाही की जाएगी ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि पुलिस विभाग में पदोन्नति की बहुत विसंगतियां है 2013 के बाद जयपुर कमिश्नरेट सहित अन्य जिलों में कॉन्स्टेबल से हेड कॉन्स्टेबल की पदोन्नति नही हुई, जयपुर में 2016 से हेड कॉन्स्टेबल से एएसआई व 215 से एएसआई से एस आई की पदोन्नति नही हुई है । रेट व उच्च न्यायालय ने 27.9.2022 के आदेश अनुसार पदों की वर्ष वार गणना करके 6 माह में पदोन्नति की जाए ।
आरपीएस से आईपीएस प्रमोशन करने पर लेंथ ऑफ सर्विस पर प्रत्येक 5 वर्ष पर 1 साल की वरिष्ठता दी जाती है । पहले एडिशनल एसपी को सिलेक्शन ग्रेड के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नही था। अभी 40 से ज्यादा वेकेंसी होने के बावजूद प्रमोटी ऑफीसर को पदोन्नति से वंचित कर दिया है। उसी प्रकार सी आई से आरपीएस जूनियर स्केल में पदोन्नत किया जाते समय प्रत्येक 5 वर्ष की नौकरी पर 1 साल की वरिष्ठता दी जावे। कोटा जिले मे पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है जिसमे लॉ एंड ऑर्डर तथा इन्वेस्टिगेशन के लिए अलग अलग सीआई लगाए गए हैं। उस अनुपात में नफरी कम है ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि प्रदेश में एस आई के 2675 कार्मिक कार्यरत है और 2079 पद रिक्त है, एएसआई पद पर 4973 कार्यरत है और 5149 पड़ रिक्त है ।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि होमगार्ड के कार्मिक लगातार 12 माह ड्यूटी लगाने की मांग कर रहे है रोटेशन प्रणाली खत्म कर 12 माह ड्यूटी लगाई जाए ।
जेल प्रहरियों की विभिन्न मांग पर सरकार को ध्यान देना चाहिए । एसीबी अच्छा कार्य कर रही है सरकार को इसका साथ देना चाहिए और अभियोजन स्वीकृति दी जाए ताकि निश्चित तौर पर अपराध पर अंकुश लगेगा । प्रदेश के कुल बजट का 3 प्रतिशत बजट पुलिस पर खर्च होता जो सभी प्रदेशो के औसत 4.3 से कम है इसमें बढ़ाना चाहिए । पेपर लीक प्रकरण में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने वाले पुलिस कार्मिक देवाराम सहित सभी को गैलेंट्री देना चाहिए ।