बीकानेर,अनमोल अमलतास व औषधीय इलाज डॉ.मोनिका रघुवंशी, डॉ. सोनिका कुशवाह (भारतीय जैव विविधता संरक्षण सोसाइटी) व ललित नारायण आमेटा (फॉस्टर भारतीय पर्यावरण सोसाइटी)
अमलतास का पेड़ पीले रंग के फूलों से भरा हुआ वातावरण को सुनहरी आभा से आच्छादित कर देता है अतः इसे गोल्डन शावर ट्री भी कहते हैं।
अनुपम सौंदर्य पादप की पहचान।
• अमलतास मध्य आकार का पादप है जिसकी लंबाई 25 से 30 फुट के लगभग होती है।
• तने की मोटाई 5 इंच के लगभग होती है।
• पत्ते चिकने व लंबे होते हैं जिनकी लंबाई 3 से 7 इंच के बीच होती है।
• छाल लाल व मटमैले के मिश्रण सी होती है।
• फूल पीले डेढ़ से ढाई इंच व्यास के चमकदार से होते हैं जिनमें गंध नहीं होती।
• अमलतास की कच्ची फलियां हरी व पकने पर काले रंग की होती हैं। यह एक से दो फुट के लगभग गोल व लंबी होती हैं।
अमलतास के पत्तों के औषधीय गुण।
• पत्तों को पानी के साथ पीसकर नियमित लगाने से कुष्ठ रोग व चकते के निशान ठीक होते हैं।
• इसके पत्तों के रस से लकवा ग्रस्त अंगों पर नियमित मालिश करने से लाभ होता है।
• इसके मुलायम पत्तों को पीसकर लेप लगाने से दाग कम होते हैं।
• कहीं भी जलने पर इसके पत्तों का लेप लगाने से दर्द में आराम मिलता है। अमलतास के बीजों के औषधीय गुण।
• बिच्छू के काटने पर इसके बीज पीसकर पानी में मिलाकर लगाने से सुधार होता है।
• पेट दर्द, गैस व पेशाब की कमी में
बीज पीसकर पानी में मिलाकर नाभि के आसपास गाढ़ा लेप लगाने से पेट दर्द व गैस का कष्ट कम होता है।
पेशाब ना आने की समस्या से भी निजात मिलता है।
• 5 या 6 बीज पानी में पीसकर पीने से अपच में उल्टी हो जाती है जिससे पेट साफ हो जाता है।
अमलतास की छाल व फली के औषधीय गुण।
• अमलतास की छाल को पानी में उबालकर गरारे करने से गला ठीक होता है।
• फली का गूदा पानी में उबालकर पीने से कब्ज में आराम मिलता है। यह पेट साफ करता है जिससे दमे से भी निजात मिलता है।
• पंच मिश्रण: चर्म रोग
अमलतास के पत्तों, छाल, फूल, बीज व जड़ को समान मात्रा में पानी के साथ पीसकर 3 हफ्ते लगाने से दाद, खुजली, फोड़े, फुंसी इत्यादि चर्म रोगों का निवारण होता है।
अमलतास का सुंदर पेड़ गुणकारी होने के साथ-साथ सौंदर्य का प्रतीक भी है इस कारणवश इसके नाम का अर्थ है अनमोल।