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बीकानेर,गुरुदेव तुलसी मानवता के मसीहा और युग की नब्ज को पकड़कर उसी अनुरूप समाधान देने में माहिर थे । जब उन्हे लगा कि जन-जन तक नैतिकता, आध्यात्मिकता और धर्म का तत्व केवल साधु-साध्वी या समण-समणी के द्वारा पर्याप्त गति से नही पहुंच पा रहा है तो उन्होंने इस उपासक श्रेणी का प्रारंभ किया और वर्तमान में यह जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा का एक महत्वपूर्ण प्रकल्प उपासक श्रेणी और इससे जुड़े हुए साधक गण स्वयं अपनी साधना के साथ जन-जन के आत्म कल्याण की दिशा में निरंतर प्रगतिशील है । तुलसी समाधि स्थल पर इस महनीय प्रकल्प का शुभारंभ इस समूचे गंगाशहर क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा, ऐसी हमारी शुभ मंगल कामना है । उपरोक्त विचार शांति निकेतन सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री पावन प्रभा जी ने नैतिकता की शक्तिपीठ पर आयोजित कार्यक्रम में रखे ।

उपासक प्राध्यापक श्री निर्मल नौलखा ने तेरापंथी महासभा से संबद्ध इस उपासक साधना केंद्र के शुभारंभ को व्यक्ति व्यक्ति के ज्ञान, दर्शन और चारित्र के विकास में सहयोगी भूमिका निभाने वाला बतलाया । युवकरत्न और उपासक श्री राजेंद्र सेठिया ने गुरुदेव तुलसी को राष्ट्र संत और दूरगामी सोच का महापुरुष बतलाते हुए उनके अवदानों को जन हितकारी और कल्याणकारी बतलाया ।

उपासक श्रेणी के संयोजक सूर्य प्रकाश सामसुखा ने उपासक साधना केंद्र की लंबे समय से जरूरत महसूस करने और फिर इस पुण्य और पवित्र स्थली आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान में इसके शुभारंभ होने को अपने आप में सौभाग्य वर्धक बतलाया यहां से उपासक अपनी स्वयं की साधना के साथ अन्य जनों के विकास में भी अपनी महती भूमिका निभायेंगे ऐसा विश्वास जताया । इस केंद्र को यहां तुलसी समाधि स्थल पर शुरू करने और आने वाले रहने वाले सभी उपासकों के लिए तमाम प्रकार की व्यवस्थाओं में उदार भाव से पूरा सहयोग करने के लिए आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान का आभार व्यक्त किया ।

आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के महामंत्री हंसराज डागा ने इस केंद्र के शुभारंभ को आचार्य श्री महाश्रमण जी का इस क्षेत्र विशेष के लिए परम आशीर्वाद और कृपा दृष्टि का सुफल बताया । इसके शांत, सुरम्य और सम्पूर्ण आध्यात्म मय माहौल में साधक अपनी साधना में और अधिक विकास कर सकेंगे । आज के कार्यक्रम में स्थानीय सभा संस्था के पधाधिकारी, गंगाशहर, बीकानेर एवं भीनासर आदि आस-पास के क्षेत्रों से भी श्रद्धालु गण उपस्थित हुए ।संचालन राजेंद्र पारख और आभार ज्ञापन किशन बेद ने किया ।

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