बीकानेर,जयपुर में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की पत्नियां पिछले 10 दिनों से अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। लेकिन बीते दिन यह गतिरोध और अधिक गहरा हो गया था।
प्रर्दशन पर बैठीं शहीदों की विधवाओं ने राजस्थान के राज्यपाल कालराज मिश्र को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है। एक महिला मंजू जाट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे पीटा, उसके कपड़े उतारे और यहां तक कि उसे पिन से भी चुभाया है।
राज्यपाल से की इच्छामृत्यु की मांग
पुलवामा शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू ने आरोप लगाया कि जब वह मुख्यमंत्री से मिलने जा रही थीं तो पुलिस ने उन्हें ऐसे फेंक दिया जैसे वह बोरी हो। उन्होंने कहा कि पुलिस की प्रताड़ना बर्दाश्त नहीं कर पाने के कारण मैं 4 मार्च से अनंत भूख हड़ताल पर हूं और अगर मुझे कुछ होता है तो इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार होंगे। इस बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है वह इस मामले में हस्तक्षेप करें। राज्यपाल ने कहा कि चार युद्ध विधवाओं ने उन्हें पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री से सही कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया था लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ।
शेखावत ने महिलाओं को लेकर गहलोत पर साधा निशाना
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीआरपीएफ जवान रोहिताश लांबा की विधवा मंजू का एक वीडियो साझा करते हुए कहा है कि गहलोत को यह ‘तानाशाह जैसा’ व्यवहार बंद करना चाहिए। पुलिस की बर्बरता के मंजू के आरोपों का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री आवश्यक कार्रवाई करने के बजाय उन्हें दोषी ठहराने के लिए ट्विटर पर बयान जारी कर रहे हैं। शेखावत ने कहा कि सरकार को पुलवामा के शहीदों की विधवाओं का अनशन तोड़ देना चाहिए। गहलोत जी, यह तानाशाही नहीं चलेगी।
शहीदों की विधवाओं की पूरी नहीं हुई मांग
इस बीच, विधवाओं के साथ प्रदर्शन कर रहे भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि मंगलवार को दो मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और शकुंतला रावत प्रदर्शनकारी महिलाओं से मिलने पहुंचे थे। हालांकि दोनों ने उनकी मांगों को सुना और आश्वासन दिया कि मुद्दे को हल किया जाएगा। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि बुधवार को राज्य सरकार की ओर से उनकी मांगों को स्वीकार करने की घोषणा होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उल्टे मुख्यमंत्री अपने ही दो मंत्रियों द्वारा मामले को सुलझाने का आश्वासन देने के बावजूद इन विधवाओं की मांगों पर सवाल उठा रहे हैं।