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बीकानेर,आधी शताब्दी गुजर जाने के बाद भी ” वीर चक्र ” शहीद रफीक खान को अन्य शहीद को मिलने वाले अमिट यादगार सम्मान की तरह सम्मान नहीं मिलना क्या दर्शाता है ? क्योंकि वह मुस्लिम है।
आपको ज्ञात होना चाहिए भारत -पाक युद्ध 1971 में वीर शहीद को मरणोपरांत भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा ” वीर चक्र ” से सुशोभित किया गया बड़ी विडंबना है कि आज भी देश के लिए कुर्बान होने वाले शहीद के नाम से स्कूल , कॉलेज , सामुदायिक भवन ,चौराहा, स्टेडियम तक नामकरण नहीं किया जा रहा है । 51,52 वर्षो से शहीद की उपेक्षा न जाने कितनी सरकारें इस आधी सदी में आई और गई है पर आज तक किसी भी सरकार ने सुध नहीं ली ।
रही बात वर्तमान सरकार के शिक्षा मंत्री आदरणीय बीडी कल्ला साहब को भी स्कूल का नामकरण करने के लिए दिए गए ज्ञापन व सीएम साहब को हर आगमन पर दसों बार ज्ञापन दिए गए अल्पसंख्यक आयोग व दीगर मंत्रियों को भी ज्ञापन दिए गए परंतु किसी भी मंत्री ने इस वीर शहीद के मान सम्मान हेतु कोई सकारात्मक सहयोग प्रदान नहीं किया ।
यहां तक की सैनिक कल्याण बोर्ड , जिला कलेक्टर द्वारा इस प्रकरण पर सकारात्मक रुख अपनाया व पूरे दस्तावेज शिक्षा निदेशालय,राज्य सरकार , संभागीय आयुक्त को अभिषसा के साथ प्रेषित किए गए ।
अफसोस शिक्षा विभाग को भेजी गई पत्रावली शिक्षा निदेशालय , जिला शिक्षा अधिकारी व जयपुर के शिक्षा ग्रुप 6 मे झूल रही है बार-बार आक्षेप लगाकर इस प्रकरण को हल न करके लंबित किया जा रहा है इसके पीछे क्या सोच है । राजस्थान सरकार ने शहीदों के सम्मान में बीकानेर में लक्ष्मण कड़वासरा भूदान बोर्ड अध्यक्ष व कांग्रेस जिला अध्यक्ष यशपाल गहलोत को संयोजक के रूप में शहीदों के लिए कार्य करने के लिए लगाया गया था इन्हें भी कई बार इस प्रकारन से अवगत कराया गया लेकिन वही ढाक के तीन पात । बहुत ही खेद जनक यह भी है कि बीकानेर शहर के सभी दलों के सभी राजनीतिक नेताओं ने कभी भी शहीद के बारे में कोई भी आवाज बुलंद करने का बीड़ा नहीं उठाया , क्योंकि शहीद मुस्लिम था।
बड़े हैरत व गैरत कि बात है कि बीकानेर के मुस्लिम नेताओं ने भी एक जाति विशेष का वीर शहीद समझ लिया और उन्होंने भी कभी इस प्रकरण को मुस्तैदी के साथ नहीं उठाया जो तथाकथीत मुस्लिम रहनुमाई स्वाग करते हैं।
जबकि शहीद तो पूरे देश का गौरव व धरोहर होते हैं।
शिक्षा मंत्री हमारे बीकानेर शहर के हैं यदि वे चाहें तो 1 घंटे में इस प्रकरण को हल कर सकते हैं जबकि वीर शहीद रफीक के बाद के सभी शहीदों के नाम से चौराहे स्कूलों के नामकरण हो चुके हैं वीरचक्र रफीक के नाम से स्कूल का नामकरण करने में कहां दिक्कत आ रही है क्या वह इस राष्ट्र के लिए शहीद नहीं हुआ मगर हां , वह मुस्लिम था इसलिए एक स्कूल का नाम ही तो कर रहे हो इसमें ऑब्जेक्शन पर ऑब्जेक्शन ऐसा क्यों बीकानेर की किसी भी सीनियर स्कूल का नामकरण करदो सारे नियम एक मुस्लिम शहीद के लिए ही क्यों ?बीकानेर के सरकार में हमारे यहां के 3 तीन तीन मंत्रियों के होते हुए भी एक शहीद को स्कूल का नामकरण चौराहा आदि नसीब न हो रहा है यह भी सोचनीय हैं राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री कहते हैं तुम मांगो मै दूंगा हमे हम मांगते थक गए। बीकानेर के लोकप्रिय मंत्री श्री बुलाकी दास कल्ला जी ने 36 कोमों के दिलो को जीता है अखलियत को दोनो हाथो से लूटा रहे हैं अफसोस शहीद वीर चक्र रफीक खान की उपेक्षा क्यों हो रही हैं ? आप चाहें तो एक घंटा भी नहीं लगे।
संभागीय आयुक्त साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने 18नवंबर 2022 को वीर चक्र शहीद रफीक खान के नाम तिराहे के आदेश जारी कर नगर न्यास को दिए थे जिसे नगर निगम ने भी पारित कर दीया आठ महीने से अभी तक दो सस्थाओ के बीच भी ये प्रकरण झूल रहा है,सैनिक कल्याण बोर्ड , जिला प्रशासन , स्थानीय राज्य सरकार के मंत्री व राजस्थान के मुख्यमंत्री जी को आगाह किया जा रहा है कि एक शहीद को आधी शताब्दी बीत जाने के बाद भी सम्मान नहीं दिया गया इससे मुस्लिम युवकों में आक्रोश है समय रहते कार्यवाही नहीं हुई तो आधी शताब्दी बाद शहीद को सम्मान दिलाने के लिए आहत लोग सरकार को आगाह कर रहे हैं ये प्रकरण सार्वजनिक प्रकरण है , आशा है मीडिया के साथी भी इस प्रकरण को राजस्थान सरकार की निद्रा खोलने में सदा सहयोगी रहे हैं व सहयोग प्रदान करेंगें ।

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