बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़,आजे समय में जहां शादियां काफी खर्चीली हो गई है वहीं क्षेत्र में एक युगल ने बिना दहेज के शादी कर सराहनीय पहल की है। युवाओं की ओर से दिन-प्रतिदिन सजग होकर ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में जिले में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं। इसका ताजा उदाहरण नापासर कस्बे मे देखने को मिला।
दहेज लेना अभिशाप है और मैं इस अभिशाप का हिस्सेदार बनना नहीं चाहता। अपने हाथों की कमाई और पिता के संस्कारों के बलबूते हर मुकाम को हासिल किया जा सकता है। यह कहकर शनिवार को बिग्गा बास रामसरा गांव का दुल्हा बिना दान-दहेज के शादी कर दुल्हन को गांव लेकर पहुंचा। सभी ने दुल्हे की सराहना की। बताते हैं कि बिग्गा बास रामसरा गांव से रामदयाल तांवनिया की शादी नापासर निवासी चित्रा पुत्री लालचंद सारस्वा हरिराम पूरा बास के साथ शुक्रवार को शादी हुई। रामदयाल के परिजनों ने कहा कि वह शुरू से दहेज के खिलाफ है। रामदयाल के पिता कुंदलमल तांवनियां ने कहा कि दहेज की प्रथा को खत्म करने के लिए बेटियों को शिक्षित करना होगा। अगर बेटियां आगे बढ़ेगी तो दहेज के लोभी लोगों की सोच भी बदल जाएगी। युवा वर्ग ही किसी समाज की दिशा बदल सकता है। दहेज की वजह से बहुत से घर बर्बाद हो चुके ही। इस बुराई को सभी मिलकर जड़ से खत्म कर सकते हैं। रामदयाल व पत्नी चित्रा ने कहा कि वह दोनों युवाओं को जागृत करने के लिए मिलकर काम करेंगे। ताकि इस बुराई पर जीत हासिल की जा सके वर पक्ष ने किसी प्रकार का कोई दहेज ,नगदी ,गिफ्ट ,सोना ,चांदी नही लिया उन्होंने मात्र एक रुपया और नारियल ही लिया इसके विपरित उन्होंने नापासर गौशाला को ग्यारह हजार एक सो रुपए वर पक्ष तरफ से सहयोग दिया