बीकानेर, संभागीय आयुक्त व राजस्थानी भाषा अकादमी अध्यक्ष डाॅ. नीरज कुमार पवन ने कहा कि शिक्षक अपने शिष्य को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है।
डाॅ. पवन सोमवार को रमक झमक संस्थान की ओर से नगर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में संस्थान परिसर में पुरातन शिक्षा प्रणाली के शिक्षकों ‘मारजाओं’ के अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डाॅ. पवन ने कहा कि बीकानेर की पौषवालों में ‘मारजाओं’ द्वारा विद्यार्थियों को बेहतरीन शिक्षा प्रदान की जाती थी। रमक झमक संस्थान व यहाँ उपस्थित लोग ‘मारजा’ जैसी विभूतियों के बारे में इंटरनेट के जरिये देश व दुनिया को जानकारी दें। उन्होंने कहा कि यहाँ मारजाओं से पढ़े वो शिष्य जो स्वयं उच्च पदों से सेवानिवृत्त हुए हैं व उनके शिष्य यानि तीन पीढियां यहाँ उपस्थित हैं और गुरुजन के पैर छू रही हैं, इससे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिये।
संभागीय आयुक्त ने शहर वासियों को नगर स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि बीकानेर अलमस्त शहर है व यहां के निवासी जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद उठाना जानते हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि ‘मारजाओं’ द्वारा विद्यार्थियों को पहाड़े सिखाने पर विशेष बल दिया जाता था व ये विद्यार्थी बिना केलकुलेटर के बड़ी-बड़ी गणनाएं कर लेते थे। विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि नगर स्थापना दिवस पर ऐसे शिक्षाविदों का सम्मान अनुकरणीय व सराहनीय कार्य है। ‘मारजाओं’ के ज्ञान व अनुभवों का लाभ नयी पीढ़ी को मिल सके, इसके लिए इनकी आडियो-वीडियो रिकाॅर्डिंग की जाए। विशिष्ट अतिथि इतिहासकार प्रो.भंवर भादाणी ने बीकानेर की पौषवालों का इतिहास बताते हुए कहा कि ‘मारजाओं’ का सम्मान हम सब के लिए गौरव की बात है। प्रो. राजेन्द्र पुरोहित ने मारजा पद्धति का पहाड़ा बोलकर बड़े से बड़ा हिसाब कैसे हो सकता है, यह बताया। सेवानिवृत अतिरिक्त शिक्षा निदेशक डॉ. गिरिजाशंकर व्यास, डॉ. नितिन गोयल, राजस्थानी साहित्यकार डाॅ. गौरीशंकर प्रजापत, बेसिक कॉलेज के संचालक रामजी व्यास, गौरीशंकर व्यास, बीजी जोशी, शेर महाराज ने भी विचार रखे। ख्यातनाम साफ़ा विशेषज्ञ पवन व्यास ने अतिथियों को साफ़ा पहनाकर, पण्डित आशीष भादाणी व प्रेम रतन छंगाणी ने स्वस्ति वाचन से तिलक कर अतिथियों का स्वागत किया। गीतकार जुगल पुरोहित ने मारजाओं के सम्मान और रमक झमक के शहर व संस्कृति के लिये समर्पण को लेकर राजस्थान गीत गाया।
कार्यक्रम में बद्री मारजा, रामदेव मारजा, गिरधर मारजा व मारजाओं पर पुस्तक लिखने वाले वरिष्ठ साहित्यकार जानकीनारायण श्रीमाली को अतिथियों व रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने ओपरणा, माला व साफ़ा पहनाकर कर व अभिनन्दन पत्र भेंट कर सम्मानित किया। इससे पूर्व ओझा ने स्वागत भाषण में कहा कि 85 से 96 वर्ष के ये मारजा यहाँ पधारे, ये वास्तव में रमक झमक का सम्मान हुआ है।ओझा ने कहा कि डाॅ. नीरज के पवन स्वयं साहित्य व संस्कृति प्रेमी हैं, उनके आने से कार्यक्रम का गौरव बढ़ा है।
सम्मान समारोह के अंत में राधे ओझा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संयोजन जुगल पुरोहित ने किया।