भीनासर, बीकानेर (राजस्थान)जनाकीर्ण सड़कें, श्रद्धा से जुड़े हजारों हाथ, वातावरण में चारों ओर गुंजायमान होती जय जयकार कुछ ऐसा ही नजारा था आज भीनासर का जब मानवता के मसीहा शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपनी धवल सेना के साथ बीकानेर शहर सीमा में मंगल प्रवेश किया। आचार्यश्री के पदार्पण से श्रद्धालुओं की चिरप्रतीक्षित कामना आज पूर्ण हो रही थी। 2014 के पश्चात पुनः अब युगप्रधान आचार्यश्री का आगमन क्षेत्र में एक नई उमंग, नया उल्लास लेकर आया है।
प्रातः आचार्यश्री ने पलाना से मंगल विहार किया। जैसे-जैसे ज्योतिचरण भीनासर की ओर बढ़ते जा रहे थे साथ-साथ श्रद्धालुओं का कारवां भी बढ़ता जा रहा था। लोगों के हाथों में जैन ध्वज और चारों तरफ से गूंजते नारें सभी में आध्यात्मिक ऊर्जा भर रहे थे। हर ओर बस एक ही स्वर सुनाई दे रहा था ‘तेरापंथ सरताज ने घणी खम्मा – घणी खम्मा’। मार्ग में कई स्थानों पर श्रद्धालुओं के प्रतिष्ठान आदि के समक्ष आचार्य श्री ने मंगलपाठ किया। मार्ग में मुरली मनोहर गौशाला में भी गुरूदेव पधारे एवं मंगल आशीष प्रदान किया सड़कों के दोनों ओर तो कही छतों पर जिसे जो स्थान मिल रहा था लोग वहा खड़े होकर आचार्यश्री की एक झलक के लिए लालायित नजर आराहे थे। तेज धूप में भी 15 किलोमीटर का प्रलंब विहार कर गुरूदेव भीनासर के तेरापंथ भवन में प्रवास हेतु पधारे।
विहार के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल, बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह, संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन, पूर्व विधायक श्री विश्वनाथ मेघवाल, एसएचओ गंगाशहर लक्ष्मण सिंह, एसएचओ महिला थाना सुरेन्द्र सिंह आदि अनेकों गणमान्य भी आचार्यश्री के साथ यात्रा में संभागी बने और बीकानेर सीमा में पधारने पर स्वागत किया।
प्रवचन सभा में आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा मनुष्य जीवन को दुर्लभ कहा गया है और अभी यह हमें प्राप्त है। एक मनुष्य जीवन ही ऐसा है जिससे व्यक्ति सीधे मोक्ष जा सकता है। कितने–कितने जन्मों के बाद मनुष्य जन्म मिलता है और अनंत जन्मों के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है या नहीं भी हो सकती है कोई जरूरी नहीं। इसलिए इस जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। हमारे जीवन में सबके प्रति मैत्री के भाव रहे। खुद का जीवन भी साधनामय रहे, सात्विक रहे यह जरूरी है।
गुरूदेव ने आगे कहा की व्यस्त रहते हुए भी हम अस्त-व्यस्त न हों। यदि कोई व्यापार, कार्य में व्यस्त हो तो वहा भी इमानदारी से कार्य करे तो वह धार्मिकता अपना सकता है। उपासनात्मक धर्म से ईमानदारी का धर्म कम महत्वपूर्ण नहीं होता। आचारणात्मक धर्म ज्यादा महत्वपूर्ण है। कोई राम का नाम भले न ले पर जीवन अवश्य अच्छा हो तो हमें एक नई शक्ति प्राप्त होगी। पुण्य का कार्य कोई नहीं कर पा रहा तो कम से कम पाप से तो बचे।
प्रसंगवश गुरूदेव ने कहा – आज भिनसार आए है। जब कभी गंगाशहर और इस ओ र आना होता है भीनासर आते ही है। यहां से साधु–साध्वी और एक समणी भी हमारे धर्मसंघ में दीक्षित है। जनता में धर्म की चेतना बढ़ती रहे, यह अपेक्षा है।
इस अवसर पर साध्वी श्री ललितकला, समणी मधुरप्रज्ञा जी अपने उद्गार व्यक्त किए। स्वागत की कड़ी में भीनासर तेरापंथ सभा अध्यक्ष पानमल डागा, सभा मंत्री महेंद्र बैद, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष ऋषभ डागा, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा मोनिका सेठिया, अभातेयुप अध्यक्ष पंकज डागा, पुष्पा नवलखा, पूजा पटवा, कुशल अक्ष बैद ने अभिवंदना में अपने विचार रखे। तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, सप्त मंडल ने पृथक–पृथक गीतों का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने सुंदर प्रस्तुति दी।