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बीकानेर,पुष्करणा सावा पर 18 फरवरी को एक साथ सैकड़ों शादियां होगी। इस सावे की कई अनूठी रस्मे है। जिन्हें देखने और जानने के लिए देशभर से पर्यटक आते हैं। पुष्करणा ब्राह्मण समाज में होने वाली विवाह की मांगलिक कार्यक्रमों में खिरोड़ा रस्म प्रमुख है।

विवाह के दिन बारात से पहले इसका आयोजन होता है। वधू पक्ष के लोग वर पक्ष के यहां पारम्परिक रूप से राशन सामग्री, वस्त्र आदि के साथ पहुंचते हैं।

भगवान गणेश के पूजन के साथ
कन्यादान की रस्म होती है। इस समय गोत्राचार किया जाता है। इसमें दोनों पक्षों के पंडितों की ओर से वर और वधू पक्ष के गोत्र, वेद शाखा, सूत्र, प्रवर और तत्संबंधी ऋषियों के उच्चारण के साथ दोनों के पिता, दादा, पड़दादा, नाना और पड़नाना के नाम का भी उल्लेख किया जाता है। इस दौरान दोनों पक्षों के परिवारजनों सहित गली, मौहल्ले सहित समाज के लोग भी मौजूद रहते है।

तीन बार उच्चारण

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार सनातन धर्म में कन्यादान का विशेष महत्व बताया गया है।
पुष्टिकर विवाह संस्कार में खिरोड़ा के समय कन्यादान किया जाता है। इस
समय वर व वधू पक्ष के गोत्र, वेद शाखा प्रवर सूत्र और तत्संबंधी ऋषियों का उच्चारण किया जाता है। इसमें वर-वधू के कुल और ननिहाल
पक्ष के गोत्र आदि का तीन-तीन बार उच्चारण किया जाता है।

कन्यादान के संकल्प के समय तीन पीढ़ियों के नाम, गोत्र आदि का उच्चारण करने की दशकों पुरानी परम्परा है।

स्तुतिगान फिर गोत्राचार

खिरोड़ा रस्म में गोत्राचार के दौरान कर्मकांडी पंडित पहले देव व देवी की स्तुतियां करते हैं। फिर गोत्राचार होता है। तीन-तीन बार होने वाले गोत्राचार में हर बार देवताओं का स्तुतिगान होता है व फिर गोत्राचार किया जाता है। गोत्राचार के बाद फोटो कन्यादान की रस्म होती है। इस बार सावा 18 फरवरी को है, इस दिन घर घर में खिरोड़ा की रस्म के दौरान गोत्राचार के आयोजन होंगे।

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