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बीकानेर,धन की तीन गतियां हैं- दान, भोग और नाश। धन का उपयोग हमें दान व धर्म में करना चाहिए। धर्म हमारी रक्षा करता है एवं हमारी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। उक्त प्रवचन रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में साध्वी सौम्यदर्शना ने व्यक्त किए। साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि धर्म कार्यों के साथ ही सत्संग करना हमारे लौकिक व पारलौकिक कर्मों से मुक्ति दिलाता है। इससे पूर्व साध्वी अक्षयदर्शना ने कहा कि महापुरुषों ने हमारी चिंता की और अनेक ग्रंथ व सूत्र रचे ताकि हमें सद्मार्ग दिखा सके। चातुर्मास हमें चेतावनी देता है कि आत्मा को जगाओ और जप-तप, दान-धर्म व स्वाध्याय में लग जाओ। श्री जैन तपागच्छ श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन शृंखला में संघ पूजा का लाभ संपतलाल प्रकाशचंद कोचर परिवार द्वारा लिया गया।

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