BIKANER,17 दिसंबर 2021 को राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार को तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर गहलोत सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड भी प्रस्तुत कर रही है। चुनावी वायदे पूरे करने और विकास के दावे तो हर सरकार करती है, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि कांग्रेस की सरकार तीन वर्ष तक बनाए रखा है। राजस्थान के जागरूक पाठक दिसंबर 2018 के उन दिनों को याद करें, जब कांग्रेस को सरकार बनाने लायक बहुमत तो मिल गया था, लेकिन मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फंस गया। सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी के आवास के बाहर लोगों ने गहलोत और पायलट को लंबी मंत्रणा करते देखा। यानी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही गहलोत को चुनौती मिल रही थी। लंबी जद्दोजहद के बाद गहलोत ने 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली, लेकिन गहलोत को पहले ही दिन से सरकार के अस्थिर होने का डर रहा, इसलिए गहलोत ने बड़ी चतुराई से बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवा लिया। तब सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री होने के साथ साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे। लेकिन गहलोत ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की पायलट को भनक तक नहीं लगने दी। रात को अंधेरे में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के समक्ष बसपा के सभी छह विधायकों को प्रस्तुत कर राजस्थान से मायावती की बहुजन समाज पार्टी का निशान ही मिटा दिया। इतना बड़ा राजनीतिक निर्णय सिर्फ अशोक गहलोत ही कर सकते थे। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब किसी प्रदेश के सभी निर्दलीय विधायक सत्तारूढ़ दल को समर्थन दें। राजस्थान में 200 में से 13 निर्दलीय विधायक हैं, इनमें से कुछ भाजपा की पृष्ठ भूमि वाले विधायक भी हैं। लेकिन सभी 13 विधायक गहलोत के साथ हैं। दिसंबर 2018 में कांग्रेस के 99 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। आरएलडी के विधायक सुभाष गर्ग के समर्थन से 100 विधायकों का आंकड़ा हो गया था, लेकिन अशोक गहलोत को पहले दिन से ही सरकार गिरने का अंदेशा था,इसलिए अशोक गहलोत ने उल्टे फरमान निकलवाने में भी कोई हिचक नहीं दिखाई। गहलोत नहीं चाहते थे कि मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार गिर जाए। इश्क में आशिक कुछ भी करने को तैयार होता है, उसी प्रकार गहलोत ने भी सब कुछ दिया, जिसमें कांग्रेस की सरकार बनी रहे। उधर सचिन पायलट दिल्ली गए, इधर जयपुर में पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पद से बर्खास्त कर दिया गया। जहां सरकार बनाए रखना बड़ी उपलब्धि है, वहीं पायलट की बर्खास्तगी भी अशोक गहलोत की एक उपलब्धि ही माना जाएगा। जिन सचिन पायलट को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने का श्रेय जाता है, वह पायलट आज सिर्फ एक विधायक हैं। अशोक गहलोत तो यही कहते हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सरकार गिराने की साजिश की। यानी सचिन पायलट अमित शाह के इशारे पर दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन जानकारों का मानना है कि यदि पायलट 10 जुलाई 2020 को दिल्ली नहीं भागते तो गहलोत की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती। सरकार गिराने को लेकर पुलिस ने देशद्रोह का जो मुकदमा दर्ज किया था, उसमें सचिन पायलट का भी नाम था। पुलिस ने देशद्रोह की धाराओं में पायलट को भी नोटिस जारी किया था। तब सबने देखा कि राजस्थान पुलिस दिल्ली, हरियाणा के मानेसर में एक होटल के बाहर मंडराती रही। गहलोत की पुलिस ने पायलट को पकडऩे के लिए होटल में छापा मार कार्यवाही भी की। बाद में सचिन पायलट सहित 19 विधायक किन परिस्थितियों में जयपुर आए, यह सब जानते हैं, लेकिन अब 12 दिसंबर को जयपुर में कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली कराकर गहलोत एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह गहलोत की राजनीतिक सूझबूझ ही है कि स्वास्थ्य खराब होने के बाद भी श्रीमती सोनिया गांधी ने रैली में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बाद भी सोनिया ने रैली को संबोधित नहीं किया, इससे गहलोत के प्रति सोनिया गांधी के भाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। सिर्फ गहलोत का सम्मान बढ़ाने के लिए सोनिया गांधी जयपुर आईं। दिल्ली से जयपुर तक के लिए अशोक गहलोत ने विशेष विमान का इंतजाम किया, ताकि सोनिया गांधी आने जाने में कोई परेशानी नहीं हो। इस रैली के गांधी परिवार में गहलोत का मान और बढ़ेगा। अशोक गहलोत ने भले ही दिल्ली जाने वाले 19 विधायकों में से 5 को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया हो, लेकिन राजस्थान में सरकार और कांग्रेस पार्टी में वो ही होगा, जो गहलोत चाहेंगे। चूंकि अब सचिन पायलट भी साथ है, इसलिए अगले दो वर्ष गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नहीं है। पायलट अब 2018 वाले पायलट भी नहीं रहे हैं। अशोक गहलोत ने भी कहा है कि तीन वर्ष में से दो वर्ष तो कोरोना में ही गुजर गए। विकास के दावे अपनी जगह है, लेकिन कांग्रेस की सरकार को तीन वर्ष बनाए रखना अशोक गहलोत की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि को कांग्रेस का नेतृत्व करने वाला गांधी परिवार भी स्वीकारता है।
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