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बीकानेर,संभाग के प्रतिष्ठत शिक्षाविद् एवं पद्मश्री श्याम सुंदर माहेश्वरी का शनिवार को श्रीगंगानगर के एक प्राईवेट होस्पीटल में हार्ट अटैक से निधन हो गया । उनके निधन की दुखद खबर से माहेश्वरी समाज में शोक की लहर छाई हुई है। जानकारी में रहे कि शिक्षा के उजियारे को जन जन तक पहुंचाने के लिये संकल्पबद्ध रहे श्याम सुंदर माहेश्वरी की बीकानेर से गहरा जुड़ाव था। माहेश्वरी ने कॉलेज लैक्चरर के रूप में करियर की शुरुआत की थी। शिक्षक जीवन में ही माहेश्वरी ने गरीब स्टूडेंट्स की सेवा को जीवन का ध्येय बना लिया। शुरुआत में खुद की जेब से रुपए खर्च कर कुछ स्टूडेंट्स की फीस भरी और बाद में इसी काम के लिए एक समिति की स्थापना कर दी। समिति की ओर से शहर के पदमपुर रोड पर विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति स्कूल का संचालन किया जा रहा है। इस स्कूल में आठवीं तक नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है। माहेश्वरी का जन्म 1 अगस्त 1952 को जिले के श्रीकरणपुर कस्बे में हुआ। मिडल से बाद की पढ़ाई श्रीगंगानगर में की और बाद में यहीं एसजीएन खालसा कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दीं। शिक्षक जीवन के दौरान ही माहेश्वरी गरीब छात्रों की मदद के लिए तैयार रहते। उनके पास कई छात्र फीस नहीं होने की बात लेकर आते तो वे उसकी फीस जमा करवा देते। बाद में उन्होंने अपने कुछ शिक्षक और प्रोफेसर साथियों से मिलकर कुछ गरीब छात्रों की मदद का बीड़ा उठाया। विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति की स्थापना की। समिति गरीब और टैलेंट वाले छात्रों को पढ़ाई में मदद करती है। उनकी पूरी फीस, किताबों और यूनिफार्म आदि का खर्च उठाती है। माहेश्वरी को उनके कार्यों के लिए वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. रामप्रकाश शर्मा ने बताया कि अंतिम संस्कार पदमपुर रोड कल्याण भूमि में रविवार सुबह नौ बजे किया जाएगा। माहेश्वरी के पुत्र डॉ. वरुण माहेश्वरी सेठ जीएल बिहाणी एसडी पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल हैं। उनके दूसरे बेटे गौरव माहेश्वरी सीए और बेटी डॉ.अनु माहेश्वरी पंजाब में मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर है।

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