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बीकानेर ,महावीर जयन्ती के कार्यक्रमों को अन्तिम रूप देने के लिए जैन महासभा बीकानेर की आम सभा रविवार को दिगम्बर नसिया जी में दोपहर 3 . 30 बजे आयोजित की गयी है।  महामंत्री सुरेन्द्र  जैन ने बताया की इस सभा में जैन समाज की समस्त संस्थाओं को व सभी सदस्यों को आमंत्रित किया गया है।  अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने बताया कि आगामी 14 अप्रैल को इस बार दो वर्षों के बाद महावीर जयंती का आयोजन विशाल रूप में आयोजित किया जाएगा। मुख्य समारोह गौड़ी पार्श्वनाथ मन्दिर परिसर में आयोजित होगा।  उन्होंने बताया कि  आम सभा में त्रिदिवसीय कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।  पूर्व अध्यक्ष विजय कोचर , चम्पकमल मॉल सुराणा व इन्दरमल सुराणा , सुरेन्द्र जैन , अमर चन्द सोनी , संजय कोचर , जयचंदलाल सुखानी व पूनम चन्द सुराणा इत्यादि कार्यकर्ताओं ने रांगड़ी चौक में प्रवासित आचार्य ज्ञान मुनि के दर्शन करके महावीर जयन्ती जैन महासभा के तत्वावधान ंव आयोजित समारोह में ही आयोजित करने का निवेदन किया जिसको उन्होंने स्वीकार किया।

जैन समाज के चौबीस तीर्थकरों में अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हैं जिनका जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था जिसे महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। इस बार महावीर जयंती 14 अप्रैल, 2022  गुरुवार  को हैं। जैन धर्म में महावीर जयंती का दिन बड़े उत्सव के तौर पर मनाया जाता हैं क्योंकि यह दिन हमारे  लिए बहुत महत्व रखता हैं।

इसलिए कहा गया महावीर

भगवान महावीर का जन्म बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज और मां त्रिशला के यहां हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। वर्धमान ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए महज तीस साल की उम्र में राजमहल का सुख और वैभव जीवन का त्याग करते तपोमय साधना का रास्ता अपना लिया था। उनका वह साढ़े बारह वर्षों की साधना व उनके जीवन कष्टों का जीवंत इतिहास है। उन्होंने तप और ज्ञान से सभी इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया था। इसलिए उन्हें महावीर के नाम से पुकारा गया। आमजन के कल्याण और अभ्युदय के लिए महावीर ने धर्म-तीर्थ का प्रवर्तन किया।

अहिंसा का दिया है संदेश

जैन महासभा के तत्वावधान में जैन धर्म के लोग महावीर जयंती को बहुत धुमधाम और व्यापक स्तर पर मनाते हैं। मगवान महावीर ने हमेशा से ही दुनिया को अहिंसा और अपरिग्रह का संदिश दिया है। उन्होंने जीवों से प्रेम और प्रकृति के नजदीक रहने को कहा है। महावीर ने कहा है कि अगर किसी को हमारी मदद की आवश्यकता है और हम उसकी मदद करने में सक्षम हैं फिर हम उसकी सहायता ना करें तो यह भी एक हिंसा माना जाता है।

इसलिए कहलाए तीर्थंकर

भगवान महावीर ने अपने हर भक्त को अहिंसा के साथ, सत्य, अचौर्य, बह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक बताया है। साथ ही उन्होंने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका- इन चार तीर्थों की स्थापना की। इसलिए वह तीर्थंकर भी कहलाए। भगवान महावीर ने सालों से चल रही सामाजीक विसंगतियों को दूर करने के लिए भारत की मिट्टी को चंदन बनाया। उन्होंने जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठकर समाज के कल्याण की बात कही।

इस तरह मनाते हैं यह पर्व

जैन धर्म के लोग इस पर्व को महापर्व की तरह मनाते हैं। इस दिन उपासरों में जप तप होता है तथा  जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। जिसके बाद मूर्ति को रथ में बैठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है, इस यात्रा में जैन समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं। भीनासर में जैन जवाहर विद्यापीठ से तथा बीकानेर में दिगंबर नसियाजी से यह शोभा यात्रा प्रारंभ होकर शहर के कई क्षेत्रों से होती हुयी गोगागेट स्थित गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर पहुंचेगी जहाँ मुख्य समारोह आयोजित होगा।

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