बीकानेर,होली की रंगत-शब्द की संगत होली के पूर्व दिवस पर लोकगीत एवं लोकहास्य व्यंग्य पर केन्द्रित एक अनूठा एवं नवाचार लिए हुए कार्यक्रम का आयोजन नागरी भण्डार स्थित सुदर्शना कला दीर्घा में प्रज्ञालय संस्थान एवं श्री जुबिली नागरी भण्डार पाठक मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर प्रदेश के ख्यातनाम लोकगायक एवं वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी मदन जैरी ने अपनी गिलहारी, कुत्ता, चाय रानी आदि चर्चित स्वरचित लोकहास्य की रचना सुना, सुना कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए हंसी से सराबोर कर दिया।
इसी क्रम में अपने अलग अंदाज के हास्य कलाकार बाबूकटपीस ने अपनी छोटी-छोटी हास्य रचनाएं प्रस्तुत करने के साथ-साथ भारत के बडे-बडे गायकों की आवाज में कई तरह के गीत कट-कट की फोरम में प्रस्तुत कर सबको हंसा-हंसा कर रोमांचित कर दिया।
आयोजन में प्रज्ञालय संस्थान एवं श्री जुबिली नागरी भण्डार पाठक मंच की ओर से लोकगायक मदन जैरी एवं हास्य कलाकार बाबूकटपीस का माला, श्रीफल, शॉल आदि अर्पित कर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यानुरागी एवं संस्कृतिकर्मी नंदकिशोर सोलंकी ने कहा कि हमारे लोक गायक जिन्होंने स्वयं अपने लोक गायन एवं लोक हास्य व्यंग्य की रचनाएं रचकर एवं उन्हें सस्वर प्रस्तुति देकर हमारे लोक साहित्य एवं हमारी लोक संस्कृति के लिए सकारात्मक काम किया है। ऐसी विभूतियों का आज सम्मान करना हमारा सामाजिक दायित्व है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि प्रदेश के ख्यातनाम लोक गायक, मदन जैरी जिन्होंने प्रदेश ही नहीं देश में अपनी सांस्कृतिक संस्था मूमल कला केन्द्र के माध्यम से हमारे नगर को सांस्कृतिक क्षेत्र में गौरवान्वित किया है।
कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित उपमहापौर राजेन्द्र पंवार ने कहा कि हमारी लोक कलाएं और लोक संस्कृति हमारी धरोहर है। जिसे संभाले रखने में ऐसी प्रतिभाआंे का योगदान महत्वपूर्ण है। इसी क्रम मंे कवि संस्कृतिकर्मी नेमचंद गहलोत ने कहा कि जीवन में हास्य और व्यंग्य का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। जिसे हम नकार नहीं सकते।
कार्यक्रम संयोजक गंगाबिशन बिश्नोई ने कहा कि ऐसे आयोजन के माध्यम से हम हमारी लोक संस्कृति से रूबरू तो होते ही हैं, साथ ही हमारे लोककलाकारों की शानदार प्रस्तुतियां सुनने को मिलती है। वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने कहा कि ऐसे पर्व एवं ऐसे आयोजन से जहां हम हमारे भाईचारे के साथ-साथ हमें हमारी लोक संस्कृति और लोक साहित्य को और अधिक समझने का अवसर मिलता है, इसी क्रम में वरिष्ठ शिक्षाविद् संजय सांखला ने कहा कि होली के पर्व पर ऐसे आयोजन की सार्थकता और अधिक हो जाती है।
कार्यक्रम में उपस्थित होली की रंगत के साथ-साथ शब्द की संगत के सशक्त हस्ताक्षर मधु आचार्य, हरीश बी. शर्मा, कमल रंगा, राजेन्द्र जोशी, संजय पुरोहित, जाकिर अदीब, इरशाद अजीज, कासिम बीकानेरी, संजय सांखला, गंगाबिशन बिश्नोई सहित सभी ने ऐसे आयोजन की पहल को सफल प्रयास बताया तो वहीं संस्कृतिकर्मी मोतीलाल हर्ष,. जे.पी व्यास इन्द्रचंद मालू, संतोष शर्मा, सुशील शर्मा, राजा सेवग, गिरिराज पारीक, छगनसिंह, गोपाल गौतम, दिनेश रामनानी, भैरूरतन रंगा, हरिनारायण आचार्य, उमेश तंवर, नरेन्द्र सोलंकी, गोपाल आचार्य, राजेश अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, रफीक आदि ने इस महत्वपूर्ण आयोजन के माध्यम से लोक-गायन लोक हास्य व्यंग्य का भरपूर आनन्द लेते-लेते रोमांचित हो गए और सभी ने ऐसे अच्छे आयोजन के लिए आयोजक संस्था एवं आयोजकों का साधुवाद ज्ञापित किया।