
बीकानेर,आज एक साधारण किसान से एक जोड़ी बैल अथवा ऊंट लेना भी बड़ा मुश्किल हो रखा है। जिससे उसकी बुवाई, जुताई, खेती प्रभावित रहती हैं। खाद, बीज, सिंचाई पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जैसे-तैसे फसल हो भी जाती है तो कभी उचित भाव नहीं मिलता तो कभी प्राकृतिक आपदा से जूझना पड़ता है। ऐसे जरूरतमंद किसानों की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ और मजबूत बनाने, उन्हें लाभान्वित करने को लेकर केंद्र सरकार लगातार अपनी किसान हितैषी कृषि योजनाओं का ढिंढोरा पीटने में लगी हुई है लेकिन असली जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है। ऐसा ही एक प्रकरण राज्य के हनुमानगढ़ जिले में देखने को मिला है। जहां कस्टम हायरिंग सेंटर के नाम पर करोड़ों की सब्सिडी उठाकर कृषि उपकरण बेच दिए गए। इस संबंध में आज जिला मुख्यालय पर नारंग होटल में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, राष्ट्रीय तेजवीर सेना, कांग्रेस और किसान यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। सभी पदाधिकारियों ने कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से राज्य भर के कृषि हायरिंग सेंटरों के जांच की मांग रखते हुए कहा कि जिस तरह से राजस्थान विशेषकर पड़ोसी जिले श्रीगंगानगर में नकली खाद और नकली बीज के खिलाफ कार्रवाई हुई है उसी तरह कृषि विभाग से मिल रही सब्सिडी पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राहुल जाखड़ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि जिला मुख्यालय के निकटवर्ती गांव रोड़ावाली के चक 4 आरआरडब्लयू में श्री बालाजी कृषि उद्योग के नाम से कस्टम हायरिंग सेंटर अगस्त 2018 में सिविल लाइंस निवासी श्रीमती शीला देवी पत्नी महावीर रिणवाँ के द्वारा खोला गया। जिसके तहत करीब डेढ़ दर्जन से ऊपर कृषि यंत्र सब्सिडी से खरीदे गए। केंद्र सरकार की योजना अंतर्गत कस्टम हायरिंग सेंटर किसानों को सस्ते रेटों पर कृषि यंत्र मशीनरी कम किराए पर उपलब्ध करवाना है। सेंटर द्वारा भौतिक सत्यापन में 1000 किसानों को मशीनें किराए पर देना दर्शाया गया है। जिसमें जीएसटी लगाकार किराए के बिल प्रस्तुत करने होते है और जीएसटी विभाग में जीएसटी भरनी होती है। कृषि विभाग से सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से स्पष्ट पता चलता है कि शीला देवी द्वारा खानापूर्ति के लिए 5 मई 2018 को कृषि यंत्र किराए का एक मात्र एक ही बिल काटा गया है वो भी अपनी सास के नाम से। यानी अपनी सास को कृषि यंत्र घर में ही किराए पर देना दिखा दिया। लाभाविन्त एक हजार किसानों में मात्र एक किसान का ही बिल वो भी घरेलू सदस्य का अन्य 999 लाभाविंत किसानों के बिल ना ही तो कृषि विभाग के पास है और ना ही सेंटर श्रीमती शीला देवी पत्नी महावीर रिणवाँ के पास। शपथ पत्र में बिंदु नं.17 पर यह शर्त उल्लेखित है कि प्रत्येक वर्ष जीपीएस लगा ट्रेक्टर 600 घंटे और कंबाइन 250 घंटे किराए पर देना अनिवार्य होगा। जबकि आज तक किसी भी किसान को कृषि यंत्र किराए पर नहीं दिए गए। किसान यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक कृष्ण रेवाड़ ने बताया कि नियमानुसार 6 वर्ष तक कस्टम हायरिंग सेंटर कृषि यंत्र मशीनरी किसी को नहीं बेच सकते लेकिन सेंटर संचालक शीला देवी रिणवाँ ने बिना किराए दिए ही मात्र दो वर्षों में ही सभी मशीनें बेच दी। सभी कृषि यंत्र मई 2018 में खरीद किए गए और वर्ष 2020 में बेच दिए गए। शपथ पत्र में सेंटर संचालक शीला देवी द्वारा बिंदु संख्या 10 अनुसार स्पष्ट उल्लेखित किया कि अगर हमारे द्वारा सेंटर संचालन नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो विभाग नियमानुसार कार्रवाई करते हुए हमसे ब्याज सहित समस्त राशि वसूल कर सकता है। जहां कृषि हायरिंग सेंटर कागजों में दिखाया गया है। असल में वहां सेंटर कभी चला ही नहीं। गत तीन वर्षों से वहां सरसों गुणे की गिट्टी फैक्ट्री चल रही है। जब कृषि अधिकारियों द्वारा वहां भौतिक सत्यापन करवाया जाता है तो श्रीमती शीला देवी द्वारा आनन-फानन में वहां पर रंग किए पुराने कृषि यंत्र रखवा दिए जाते है। यह सब कृषि अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। शपथ पत्र में यह भी शर्त थी कि जिले में जहां कही भी कृषि मेला, प्रदर्शनी लगेगी वहां अनुदानित यंत्रों का प्रदर्शन अनिवार्य होगा ताकि किसानों को इस महत्वपूर्ण योजना के बारे में पता चले और वे लाभाविंत हो सके। लेकिन कागजों में चल रहे सेंटर के संचालक द्वारा यंत्रों का कहीं भी प्रदर्शन नहीं किया गया। इस तरह से कृषि विभाग में लंबे समय से चल रहे सब्सिडी फर्जीवाड़े में एक बड़ा समूह शामिल है। जिसमें सेंटर संचालक, कृषि अधिकारी और पार्टियों से जुड़े स्थानीय बड़े नेता भी शामिल है। बड़े राजनेता एक तरफ तो सार्वजनिक मंचों से किसानों के हितों और विकास की बाते करते है वहीं दूसरी तरफ ऐसे सेंटर संचालकों की जालसाजी के कार्यों पर मौन धारण कर रखा है। किसानों को लाभाविंत करने के नाम पर खाद, बीज, कीटनाशक, पौधें, बागवानी, डिग्गी निर्माण और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उठाकर उसे खुर्द-बुर्द करना तो जैसे कृषि विभाग की परम्परा बन गई हो। कृषि विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से सब्सिडी गबन का यह मात्र एक प्रकरण नहीं है। बल्कि सही तरीके से जांच की जाए तो ऐसे न जाने कितने घोटाले सामने आ जाएं।
सेंटर का भौतिक सत्यापन झूठा दिखाया गया
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पूर्व जिला संयोजक महेन्द्र कड़वा ने पत्रकारों को बताया कि सेंटर खोलते समय कृषि विभाग द्वारा इस शर्त पर स्वीकृति दी गई कि प्रत्येक 6 माह में कृषि अधिकारी सेंटर का भौतिक सत्यापन करेंगे। जबकि वर्ष 2018 से लेकर अब तक मात्र दो बार ही सत्यापन हुआ। उसमें भी संचालक श्रीमती शीला देवी पत्नी महावीर रिणवाँ स्वयं उपस्थित नहीं हुई। किसी अन्य द्वारा सत्यापन करवाया गया और उपस्थिति के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी फर्जी किए गए। किसानों को सस्ते रेटों पर कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध करवाने हेतु करीब एक करोड़ की मशीनरी खरीदी गई। जिसमें 39,98,512 रुपए की सब्सिडी मिली। नियमानुसार यह सब्सिडी तभी मिलती जब संचालक 4 वर्षो तक सेंटर खुला रखता और जरूरतमंद किसानों को कृषि यंत्र किराए पर देता। सेंटर के निर्धारित कार्यालय पर लगाए गए आधारभूत ढ़ांचे पर भौतिक सत्यापन के बाद संबंधित बैंक द्वारा संचालक शीला देवी के बैंक खाते में सब्सिडी राशि जमा करवानी थी। लेकिन कृषि और बैंक अधिकारियों ने संचालक से मिलीभगत कर झूठा भौतिक सत्यापन दिखाकर अनुदान राशि प्राप्त कर ली। सत्यापन में भी प्रत्येक तथ्य झूठा दिखाया गया।
5 दिनों में विभाग पलटा, कृषि यंत्र बेचने बताए और सेंटर को भी बंद बताया
जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव परीक्षित सहारण ‘गिलवाला’ ने पत्रकारों को बताया कि कृषि यंत्रों की सब्सिडी गबन में संचालक श्रीमती शीला देवी पत्नी महावीर रिणवाँ की कृषि अधिकारियों की मिलीभगत का स्पष्ट प्रमाण है कि 18 मार्च 2025 को संयुक्त निदेशक कृषि विभाग द्वारा सेंटर का भौतिक सत्यापन किया जाना दर्शाया गया है। जिसमें उल्लेखित किया गया है कि विभाग द्वारा अधिकृत कृषि हायरिंग सेंटर रोड़ावाली के चक 4 आरआरडब्लयू में चालू हालत में है और सब्सिडी वाले सभी कृषि यंत्र सक्रिय है। काबीलेगौर हैरानी वाला तथ्य यह है कि यही विभाग मात्र पांच दिन बाद यानी 23 मार्च 2025 को पुनः भौतिक सत्यापन करता है ओर उल्लेखित करता है कि बालाजी कृषि उद्योग ( कृषि हायरिंग सेंटर) बंद हो चुका है और कंबाईन मशीनरी बेच दी गई है।