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बीकानेर,कुछ केंद्रीय संगठनों द्वारा किए गए 28 व 29 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल के आह्वान पर भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने हड़ताल में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। संघ के महामंत्री बिनय कुमार सिन्हा के अनुसार इस हड़ताल का आह्वान विशुद्ध रुप से राजनीति से प्रेरित है। यह आंदोलजन केवल उन राजनीतिक दलों के अस्तित्व को बचाने के लिए है, जिनसे यह श्रम संगठन सम्बद्ध है। इन श्रम संगठनों का श्रमिकों के हितों से कोई लेना-देना नहीं है। इस दो दिवसीय हड़ताल में कुछ किसान और छात्र संगठनों की सहभागिता से यह एकदम स्पष्ट है कि ये श्रम संगठन श्रमिकों के हितों की बिलकुल भी परवाह नहीं करते हैं, बल्कि केवल अपने राजनीतिक दलों के राजनीतिक हितों की स्वार्थपूर्ति के लिए श्रमिकों का उपयोग करते हैं। सिन्हा के अनुसार पिछले 75 वर्षों में हमने विभिन्न विचारधारा वाले राजनीतिक दलों की सरकारों को देखा है, लेकिन श्रमिकों की समस्याएं अभी तक अनसुलझी है इससे यह स्पष्ट है कि ‘सत्ता परिवर्तन’ श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए रामबाण नहीं है। इसलिए यह समय है कि हम ‘सत्ता परिवर्तन’ के लिए नहीं अपितु ‘व्यवस्था परिवर्तन’ पर विचार शुरु करें। ‘व्यवस्था परिवर्तन’ अर्थात् वर्तमान तंत्र (सिस्टम) के अंदर परिवर्तन। उन्होंने सभी श्रम संगठनों से आह्वान किया है कि वह अपनी-अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को त्याग कर एक गैर राजनैतिक संयुक्त श्रमिक आंदोलन की रुपरेखा का निर्माण करें। भारतीय मजदूर संघ को एक गैर राजनीतिक संयुक्त श्रमिक आंदोलन का नेतृत्व करते हुए मजदूर वर्ग की सेवा करने में प्रसन्नता होगी। हम मजदूर वर्ग का राजनैतिक दलों के हितों के लिए उपयोग करने के लिए, शोषण की कड़ी निंदा करते है एवं श्रम मुुद्दों के प्रति पूर्ण सहानुभूति रखते हैं। हम श्रमिकों के मुद्दों को अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से समाधान करने के लिए सक्रिय रुप से काम कर रहे हैं, लेकिन श्रमिकों के राजनीतिकरण में विश्वास नहीं रखते है और पूरी क्षमता से श्रम कल्याण के लिए अपना कार्य करना जारी रखेंगे।

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