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बीकानेर,गौवंश पर कहर बरपा रही लंपी स्किन डिजीज का बीकानेर में असर तो कम हो गया है लेकिन इसके जख्म अभी भी हरे है। पशु चिकित्सकों के अनुसार पोस्ट लम्पी में पशुधन के शरीर पर गहरे घाव के निशान रह रहे हैं जो सार संभाल नहीं होने पर जख्म बन कर दर्द दे रहे हैं। वहीं, पशुधन की बीमारी से लडऩे की क्षमता कम हो गई है तो शरीर में कमजोरी आने के साथ चारा-पानी भी कम ले रहे हैं जिससे तंदुरुस्ती नहीं आ रही। जिले में हजारों की तादाद में गोवंश पोस्ट लम्पी की मार सह रहा है। जानकारी में रहे कि गोवंश में फैली बीमारी लम्पी ने जिले में एक तरह से महामारी का रूप ले लिया। गांव-गांव गोवंश इसकी चपेट में आया और पूरे शरीर पर गांठें उभर कर आ गई। अब पशुपालन विभाग के प्रयासों से लम्पी का इलाज तो हो रहा है, लेकिन पोस्ट लम्पी के लक्षण पशुधन को परेशान कर रहे हैं। जो पशु लम्पी से उबरे हैं, उनके शरीर पर अब बड़े-बड़े घाव हो गए हैं। इन घावों पर मरहम पट्टी करने के बावजूद पन्द्रह-बीस दिन तक सही नहीं हो रहे। ऐसे में समझा जा सकता है कि बेजुबान जानवर कितना दर्द सहने को मजबूर है। विशेषकर छोटे गोवंश के लिए यह तो बेहत दर्द भरा साबित हो रहा है। साथ ही बीमारी से उबरने के बाद पशुधन की बीमारियों से लडऩे की क्षमता भी कम हुई है तो शरीर कमजोर नजर आ रहा है। खान-पान कम होने से पशुधन को अभी भी दुरुस्त होने में लम्बा वक्त लग सकता है।

जानकारी के अनुसार बीकानेर जिले में करीब एक लाख पशु लम्पी की चपेट में आए हैं। इनमें अभी पोस्ट लम्पी के लक्षण नजर आ रहे हैं। हालांकि इलाज मिलने से पशुधन की मौत का आंकड़ा कम रहा लेकिन पोस्ट लम्पी बीमारी के लक्षण चिंता का कारण बने हुए हैं। पशु चिकित्सकों के अनुसार पोस्ट लम्पी के चलते पशुधन के शरीर पर घाव के निशान हो रहे हैं जिन पर मक्खियां बैठने से कई दिनों तक जख्म सही नहीं हो पाते हैं। समुचित देखभाल के साथ घावों को धोकर, देसी इलाज व दवाइयां लगाई जाए तो पशु जल्दी ठीक हो जाते हैं।

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