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जयपुर। राजस्थान में जैसे-जैसे कोरोना के केस कम हुए, सरकार ने टेस्टिंग भी घटा दी है। दूसरी लहर के दौरान अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के जितनी टेस्टिंग होती थी, फिलहाल उसकी 30 फीसदी टेस्टिंग भी नहीं हो रही है। अब जब कोरोना के केस बढऩे लगे हैं तो हेल्थ डिपार्टमेंट ने टेस्टिंग बढ़ाने के लिए कहा है। नवंबर में राजस्थान में हर रोज औसतन 15 हजार टेस्टिंग हो रही है, जबकि 6 महीने पहले मई की स्थिति देखे तो 62 हजार लोगों की टेस्टिंग हर रोज होती थी।
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना टेस्टिंग कम होने से वास्तविक मरीजों का पता नहीं चल पाता, क्योंकि कई मरीज ऐसे भी हैं, जिन्हें कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिख रहे, लेकिन टेस्टिंग में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जयपुर में कुछ दिन पहले जिस निजी स्कूल के 12 बच्चे एक साथ पॉजिटिव आए थे, उनमें से एक भी बच्चे को कोरोना के लक्षण नहीं थे। ऐसे में जरूरी है कि हॉस्पिटल में खांसी, बुखार, जुकाम के इलाज के लिए आने वाले मरीजों की भी कोरोना जांच करवानी चाहिए।
हर रोज एक लाख टेस्टिंग की क्षमता
राजस्थान में चिकित्सा विभाग के पास हर जिले में कोरोना टेस्ट करने की मशीनरी है। हर रोज करीब एक लाख टेस्ट राज्य में किए जा सकते हैं। मई के महीने में जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी, उस समय कुछ दिन तो हर रोज 80 हजार से एक लाख लोगों की टेस्टिंग की गई थी। एक दिन में सबसे ज्यादा टेस्टिंग का रिकॉर्ड 4 मई को रहा था, तब एक दिन में 99,418 लोगों की कोरोना की जांच की गई।
अक्टूबर में सबसे कम टेस्टिंग
साल 2021 में जनवरी से अब तक की रिपोर्ट देखें तो सबसे कम टेस्टिंग अक्टूबर के महीने में हुई थी। अक्टूबर में हर रोज औसतन 14 हजार लोगों की टेस्टिंग हुई। वहीं फरवरी, मार्च में जब कोरोना की पहली लहर का डाउन फॉल आया था, तब हर रोज टेस्टिंग का औसत 16 हजार से ज्यादा था। फरवरी में 16 हजार और मार्च में 19 हजार से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग हर रोज होती थी। हालांकि उस समय राजस्थान में टेस्टिंग की कैपेसिटी 60 हजार से भी कम थी।

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