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बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में बुधवार को ढढ्ढा चौक के प्रवचन पंडाल ’’यसराग’’ में भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव भक्ति भाव से मनाया गया। भक्तिगीत गाए गए तथा शहनाई वादन किया गया। परमात्मा के बाल स्वरूप् को चांदी के पालने में झुलाया गया।
भगवान महावीर स्वामी की माता त्रिशलादेवी को स्वप्न में दिखाई दिए 14 चीजों का प्रदर्शन किया गया । बड़ी संख्या में मुनिवृंद सहित श्रावक-श्राविकाओं ने तपस्याएं की तथा स्वप्नों की बोली लेने वालों व चातुर्मास में परोक्ष-अपरोक्ष रूप् से सहयोग करने वालों तथा विभिन्न तपस्याएं करने वाले करीब 108 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं का अभिनंदन किया । अभिनंदन बाबूलाल गेवरचंद मुसरफ परिवार के संतोक चंद मुसरफ, नरेन्द्र मनु मुसरफ, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ, विपिन, अंजूदेवी, खुशी, नित्या, मधु,चारु, समर्थक व प्रथम, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संरक्षक पवन पारख, मंत्री ललित नाहटा, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी महोत्सव समिति के संयोजक दिल्ली प्रवासी बीकानेर निवासी ललित नाहटा आदि ने किया। ललित नाहटा ने खतरगच्छ सहस्त्राब्दी वर्ष पर जारी चांदी के सिक्के का भी प्रदर्शन चतुर्विद संघ के समक्ष किया। सम्मानित होने वालों में गणेश बोथरा, सुशील बैद, बिना अन्न जल के 45 दिन की तपस्या पूर्ण करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी, रौनक बरड़िया व भगवान महावीर स्वामी की माता को स्वप्न में दिखाई दी चीजों की बोलियां देने वाले संघपति व उनके परिजन शामिल थे। खजांची की भूमिका कंवर लाल मुकीम खजांची ने निभाई।
करीब पांच घंटें चले भगवान महावीर के जन्म कल्याणक उत्सव के दौरान आचार्यश्री ने ’’प्रभु के दर्शन पाएगा’’, संयम उनको मिले, पुण्य हो जिनके पले, ’’ जय बोलो महावीर स्वामी’’, ’’जय-जयकार जय-जयकार, जिनशासन की जय-जयकार सहित अनेक भजनों के मुखड़ों की प्रस्तुतियां दी। टिविक्कल नाहटा व अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने सामूहिक रूप् से भजन के अंशों को प्रस्तुत कर उत्सव को भक्तिमय बनाएं रखा।
आचार्यश्री ने धर्म चर्चा में कहा कि भगवान महावीर के आदर्शों को आत्म सात करने, उनके बताए सत्य, अहिंसा, अचौर्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य व क्षमा आदि सिद्धान्तों पर चलने से सच्चे मायने में भगवान का जन्मोत्सव सार्थक होगा। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि श्रावक-श्राविकाओं को संयम, सुकृत्य व तपस्याओं की अनुमोदना करनी चाहिए। उन्होंने कल्पसूत्र के अनुसार भगवान महावीर के विभिन्न कल्याणकों का वर्णन किया।
भगवान महावीर के पालने को नाहटा चौक के कंवर लाल, संतोष देवी मनीष जितेश नाहटा के घर गाजे बाजे से ले जाया गया। जहां आचार्यश्री, मुनि व साध्वीवृंद के सान्निध्य में भक्ति का कार्यक्रम आयोजित किया गया। पांच दिन के तपस्वी भीनव नाहटा, निधि, मोनिका, बालक कैतन्य,धनेश व लुव्य ने पारम्परिक वेश में भक्तिगीत गाते नृत्य करते हुए परमात्मा के जन्मोत्सव में भागीदारी निभाई।
मुनिवृंद, श्रावक-श्राविकाओं के तपस्याओं की अनुमोदना
आचार्यश्री के सान्निध्य में मुनि कन्हैयालाल भुगड़ी, रौनक बरड़िया, दिन,अंतर देवी बोथरा, चिराग सुराणा, सुनील लोढ़ा, मुनि सत्व रत्न सागर, सवार्थ रत्न सागर, बाल मुनि श्रुत रत्न सागर व श्रीमती श्वेता पारख, भीनव नाहटा के साथ तपस्याओं के साथ उपवास, बेला, तेला, आयम्बिल, अट्ठम तप, श्रेणिक तप, आगम तप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की अनुमोदना की गई।

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