बीकानेर,सुखद खबर है कि एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में तबाही मचाने वाली टिड्डियों पर आखिरकार काबू पा लिया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने में तबाही मचाने वाली इन टिड्डियों पर काबू पाने में कामयाबी मिल गई है। यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि इन टिड्डियों ने पूरी दुनिया में अरबों रुपए की फसलों को नुकसान पहुंचाया था। हाल के सालों में अफ्रीका एवं अरब देशों में तबाही मचाने के बाद इन टिड्डियों ने पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान में भी प्रवेश कर फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। देश में 111 से ज्यादा टिड्डी दल रिपोर्ट किए गए थे, जो बाद में नेपाल से लेकर चीन सीमा तक पहुंचे थे। अब टिड्डियों के आतंक से मुक्ति की बात कही जा रही है, तो यह बड़ी राहत मानी जाएगी। टिड्डियों की उम्र करीब एक साल बताई जाती है। कुछ देशों के लिए टिड्डियों का कहर स्थाई समस्या बन रहा था। इन पर काबू पाना आवश्यक हो गया था।
टिड्डियां जिस तेजी से बढ़ रही थीं, बड़ी समस्या यह हो गई थी कि आखिर इनके पैदा होने पर कैसे रोक लगाई जाए। हालांकि अब खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की तरफ से दावा किया जा रहा है कि टिड्डियों पर काबू पा लिया गया है। टिड्डी के साथ ही कोरोना जैसे संकटों की वजह से पूरी दुनिया को अनचाहे खतरों के लिए हमेशा तैयार रहने और एकजुट होकर इनका मुकाबला करने का संदेश भी मिला है।
इस बात का ध्यान रखना होगा कि एफएओ ने टिड्डियों पर नियंत्रण की बात कही है, समस्या के पूरी तरह से खत्म हो जाने की बात नहीं कही है। यानी टिड्डियां रहेंगी तो सही, लेकिन उनकी संख्या नियंत्रित होने से वे उत्पात नहीं मचा सकेंगी। टिड्डियां नियंत्रित रहें, इसके लिए जरूरी है कि उनकी संख्या अनियंत्रित न हो। इस मामले में लगातार गंभीरता और मिलकर काम करने की जरूरत है। अगर किसी भी देश में टिड्डियों के अंडे मिलते हैं, तो इसे खतरे का संकेत मानकर सचेत होना होगा। अंडों को नष्ट करने के साथ वैश्विक संगठन को इसकी सूचना दी जानी चाहिए, जिससे एकजुटता के la साथ कार्रवाई हो सके। पृथ्वी केवल मनुष्य के लिए ही नहीं है। इसलिए च टिड्डियां भी इसी पृथ्वी पर रहेंगी। ध्यान सिर्फ इतना रखना है कि उनकी संख्या अनियंत्रित न हो जाए। इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है। सभी देश सतर्क और आपसी समन्वय से काम करें, तो किसी भी खतरे का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है।