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बीकानेर.इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। गांवों में लोग अलाव तो शहरों में लोग बिजली के हीटर और अंगीठी जलाकर सर्दी से बचाव कर रहे हैं। बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोने से अक्सर हादसे हो जाते हैं। हर साल ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिनमें अंगीठी के धुएं से कारण बंद कमरे में दम घुटने से लोगों की मौत हो जाती है। बीकानेर संभाग में रविवार को बीकानेर एवं चूरू के रतनगढ़ में ऐसे दो हादसे हुए। जिनमें पांच लोगों की अंगीठी के कारण दम घुटने से मौत हो गई।

कमरे में अंगीठी जलाने से पहले ध्यान रखें…
कोयले की अंगीठी जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है। यह जहरीली गैस सांस नली में जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई बाधित कर देती है। इससे दम घुट जाता है या ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है।

जिस कमरे में हवा निकलने का रास्ता न हो वहां अंगीठी जलाकर बिल्कुल नहीं सोना चाहिए।

चूल्हा जलाते समय भी घर की खिड़कियां, रोशनदान और दरवाजे खोल कर रखें। इससे कमरे में वेंटीलेशन बना रहेगा। धुएं को निकलने का रास्ता मिलेगा।

देश में कई जगह हो चुके हादसे

2 जनवरी 2023 : मेरठ में एक कमरे में अंगीठी जलाकर सोने से नेपाली दंपती और उनकी चार वर्षीय बेटी की मौत हो गई।

3 जनवरी 2023 : फगवाड़ा के गांव रिहाना जट्टा के निकट ढाबे में अंगीठी जलाकर सोऐ दो व्यक्तियों की दम घुटने से मौत।

5 जनवरी 2023 : वाराणासी के दरेखू गांव में अंगीठी जलाकर एक ही परिवार के चार लोग सोए। दम घुटने से दो वर्षीय मासूम की मौत।

22 दिसंबर 2022 : अलवर जिले के शहजादपुर गांव में वृद्ध दंपती कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोए। दम घुटने से मौत।

12 दिसंबर 2022 : लखनऊ के जियामऊ गांव में एमए की छात्रा कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोई। दम घुटने से मौत।

29 दिसंबर 2022 : हरियाणा के तरावड़ी में एक मकान में अंगीठी जलाकर सो रहे 16 वर्षीय किशोर व उसकी दस माह की भांजी की मौत हो गई।

एक्सपर्ट व्यू : अंगीठी जलाए तो वेंटीलेशन का ध्यान रखें
कार्बन मोनो ऑक्साइड एक जहरीली गैस है। कमरे में कोयला या लकड़ी जल रही है और वेंटीलेशन की कोई व्यवस्था नहीं हो तो वहां बैठे व्यक्ति ऑक्सीजन के साथ कार्बन मोनो ऑक्साइड भी खींचते हैं। हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर यह गैस कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है। खून में मौजूद आरबीसी मोनो ऑक्साइड से जुड़ती है। ऑक्सीजन की सप्लाई रुकती है। इससे व्यक्ति के शरीर में हाइपोक्सिया की नौबत आती है। शरीर के ऊतक मरने लगते हैं। जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।
डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा, सीनियर प्रोफेसर मेडिसिन, एसपी मेडिकल कॉलेज बीकानेर

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