
बीकानेर,जाने माने लेखक,कवि व साहित्यकार मधु आचार्य “आशावादी” की सौ पुस्तकें प्रकाशित होने पर आज बाफना स्कूल द्वारा “साहित्य सृजन संवाद” कार्यक्रम का आयोजन शाला प्रेक्षागृह किया गया।
स्कूल के सीईओ डॉ पी एस वोहरा ने कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हम सब के लिए गर्व का अनुभव है कि श्री मधु आचार्य ने अपनी 100 पुस्तकों के प्रकाशन से नगर को गौरांवित किया। इनका साहित्य सृजन हमें प्रेरित करता है जिसका सम्मान करना हम सभी का दायित्व है। शाला के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ इनका संवाद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक लेखक अपने लेखन धर्म को समाज से प्रेरित होकर ही निभाता है और वास्तविक शिक्षक वही होता है जो समाज को समझ रहा होता है इसलिए लेखक और शिक्षक का आपसी तालमेल समाज को लाभान्वित करता है।
कार्यक्रम में श्री आचार्य ने शाला शिक्षक-शिक्षिकाओं के विभिन्न प्रश्नों का जवाब दिया। एक प्रश्नों के जवाब में उन्होंने कहा कि साहित्य सत्य का संवेदनात्मक अन्वेषण है। साहित्य का समाज से सरोकार होता है। एक साहित्यकार या लेखक अपने जीवन का आनंद भरपूर रूप से उठाता है क्योंकि वह व्यक्ति के गुणों को देखता है ना कि अवगुणों को। एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि नाटक ही वो कला है जो व्यक्ति को पूर्ण इंसान बनाती है क्योंकि नाटक एक समग्र कला है। यह वह विधा है जो हमें समुचित रूप से विकसित करती हैं क्योंकि इसका संबंध हमारी ऋषि परंपरा से माना जाता है अतः यह बहुत ही पवित्र और पावन मानी जाती है। हमारे समाज को संस्कारित केवल नाटक ही कर सकता है क्योंकि नाटक समाज का दर्पण होता है जो समाज में फैली सभी विसंगतियों को बहुत ही भावनात्मक ढंग से हमारे सामने पेश करता है जिससे प्रेरित होकर हम उनका विरोध भी करते रहते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत में सीईओ डॉ. वोहरा, वाइस प्रिंसिपल श्री जितेंद्र इंदोरिया व रेणु हर्ष द्वारा श्री मधु आचार्य का सम्मान किया गया।