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बीकानेर, गणतंत्र पर्व पर ड्राई डे घोषित होने के बावजूद तीन मंत्रियों के जिले बीकानेर में इस बार ठेकों पर शराब की रिकॉडतोड़ बिक्री हुई है । बीकानेर में यह पहला अवसर नहीं है,इससे पहले भी राजस्थान सरकार की ओर से घोषित ड्राई डे पर बीकानेर के शराब ठेकों में बिक्री के रिकॉर्ड टूट चुके है । मजे कि बात यह है बीकानेर में नये तैनात हुए संभागीय आयुक्त नीरज के पवन,आईजी ओमप्रकाश पासवान,कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल और जिला पुलिस अधीक्षक योगेश यादव की सख्ती भी बीकानेर में सुखा दिवस पर शराब की ब्रिकी रोकथाम में नाकाम साबित साबित हुई । ड्राई डे की औपचारिकता के लिहाज से जिलेभर में शराब के ठेके बंद रहे,लेकिन बंद ठेकों के जाली झरोखों और शट्टर के नीचे से शराब की बिक्री का सिलसिला सुबह से देर रात तक जारी रहा । हैरानी की बात तो यह है कि शहर में कई पुलिस थानों के आस पास खुले ठेकों में भी शट्टर के नीचे से शराब की बिक्री का खेल धड़ल्ले से चल रहा था । सादुर्ल सर्किल के होटल मेट्रो के पास स्थित ठेके में शराब की बिक्री का दौर सुबह नौ बजे ही शुरू हो गया जो दोपहर बाद जबरदस्त परवान चढ़ गया। गजनेर हाईवे पर कल्ला पेट्रोल पंप के पास ठेके पर धड़ल्ले से बेची जा रही शराब की वीडियों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी। इसी तरह रानीबाजार रेलवे क्रोसिंग के पास राजीव मार्केट के ठेकों पर आधा शट्टर खोल कर शराब बेची जा रही थी। स्टेशन रोड़ पर लक्ष्मी होटल के पास वाले बंद ठेके में सुबह सेवरे ही सैल्समेन अंदर घुस कर बैठ गया जो ठेके के झरोखे से दिनभर शराब बेचता नजर आया। सुखा दिवस पर शराब बिक्री के यह नजारे एक-दो ठेकों पर नहीं बल्कि शहरभर के तमाम ठेकों पर देखने को मिले। जानकारी में रहे कि सुखा दिवस या रात आठ बजे बाद शराब बिक्री पर राजस्थान आबकारी अधिनियम की धारा 19/54, 16/54 के तहत संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है और शराब बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। इसके अलावा सुखा दिवस पर शराब बेचने वाले ठेकेदार और ठेका संचालक का लाइसेंस निरस्त करने का भी विभाग के पास अधिकार है। वहीं आबकारी एक्ट की इन्हीं धाराओं के तहत पुलिस भी अवैध रूप से शराब की बिक्री करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई कर सकती है।

जग जाहिर है जुगाड़ की तकनीक
हालांकि गणतंत्र दिवस पर सुख दिवस के कारण देखने में शहर और गांवो के सभी शराब ठेके बंद नजर आ रहे थे, लेकिन जुगाड़ तकनीक कर शराब बेची जाती रही। इनमें कहीं शटर को एक तरफ से उठाकर तो कहीं साइड में दीवार में किए गए छेद में से शराब बिकती रही। पियक्कड़ों को ठेकों के इन चोर रास्तों का पता है, ऐसे में वे तो सीधा जाकर शराब लेते रहे। लेकिन कोई बाहर का पियक्कड़ आ जाए तो उसके लिए ठेकेदारों ने विशेष तौर पर एक या दो जनों को ठेके के बाहर बैठा रखा था। जिससे कि यह बता दे कि शराब लेनी है तो इधर मिल रही है । सुखा दिवस पर शराब बिक्री का यह खेल सुबह से देर रात तक चलता रहा।

झांककर भी नहीं देखते आबकारी अफसर
सुखा दिवस पर शराब बिक्री की रोकथाम सीधे तौर पर आबकारी विभाग के अफसरों जिम्मेदारी है,मगर आबकारी अफसर शराब ठेकों की तरफ झांककर भी नहीं देखते। जानकारी के अनुसार ड्राई डे पर शराब की बिक्री रोकने के लिए आबकारी विभाग की ओर से ठेकों पर सील लगाई गई थी। इसकी जांच करने के लिए आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शहर में भ्रमण करते रहे लेकिन उन्होंने ठेकों की तरफ देखा भी नहीं। इस पूरे मामले का सच जानने के लिए कई शराब ठेकों पर स्टिंग ऑपरेशन किया। ड्राई डे के बावजूद शराब कैसे बिक रही थी, इस सवाल का जवाब ढूंढऩे के लिए पड़ताल की तो सामने आया कि आबकारी विभाग ने गणतंत्र दिवस पर ड्राई डे पर एक भी कार्रवाई नहीं की।

ड्राई डे पर मुनाफा दोगुना
ड्राई डे पर शराबबंदी की बजाए अधिक मात्रा और अधिक रेट में शराब बिकती हैं। ठेके वालों ने अपने ग्राहकों की मांग पूरी करने के लिए एक पूरा सिस्टम तैयार किया हुआ है। जो भी कोई ड्राई डे के दिन ठेके पर आता है। उसे गुपचुप तरीके से 10 से 30 रुपए अधिक दाम में शराब बेच दी जाती है।

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