बीकानेर,राजस्थान सरकार के पत्र के अनुसार, राज्य सरकार से पत्राचार उनके द्वारा नियुक्त कुलसचिव / लिंक अधिकारी यानि वित्त नियंत्रक द्वारा ही किया जाना प्रस्तावित है। जबकि बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की मीटिंग निर्धारित करने की प्रक्रिया में इन दोनों अधिकारियों की उपेक्षा कर अनाधिकृत स्वयंभू रचित एवं गैर कानूनी तरीके से नियुक्त अधिकारियों द्वारा प्रसारित कर आयोजित की जा रही है। यह प्रक्रिया शुरू से ही असंवैधानिक, अवैध एवं बेअसर होने के कारण कानूनन नहीं की जा सकती अतः इसे स्थगित किया जाना चाहिए।
यह कि, कुलाधिपति सचिवालय के प्रमुख सचिव द्वारा जारी आदेश क्रमांक 543 दिनांक 1.2.22के अनुसार, कुलपति अपने कार्यकाल समाप्ति के अंतिम तीन माह में किसी भी प्रकार का नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते। SKRAU, बीकानेर के कुलपति डॉ आर पी सिंह की नियुक्ति 23-8-19 की है तथा कार्यकाल 22-8-22 को समाप्त हो जाएगा, इसलिए 22.5.2022 के बाद कुलपति कोई भी नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम नहीं होने के कारण, 30.5. 22 को होने वाली मीटिंग स्थगित होनी चाहिए तथा जब तक नये कुलपति नहीं आ जाते तब तक कोई नीतिगत निर्णय / अनुमोदन/आदेश पारित नहीं किए जा सकते। उक्त निर्णय कानूनन असंवैधानिक होंगे जिनका न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है इससे विश्वविद्यालय पर अनुचित व्यय भार बढ़ेगा।
BoM मीटिंग के
3. यह कि राज्यपाल सचिवालय के सचिव द्वारा जारी पत्र क्र. F1 (39) RV/2021/ मे, विश्वविद्यालय को निर्देशित किया हुआ है कि विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया की कार्यवाही शुरू किए जाने से पूर्व राज्य सहमति आवश्यक है तथा इसी के आधार पर दिनाँक 28.1.22की 107वीं agendaSKRAU/BOM-107/2022-1/1435(पू 4) में पूर्व में भी यह निर्णय हो चुका है कि भर्ती प्रक्रिया राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद ही शुरू की जाएगी परंतु कुलपति अपनी बदनियति से इसे अपने कार्यकाल में अगस्त22 से पूर्व, फर्जी तरीके से भर्ती करना चाहते हैं। जिससे नियमों से बंधेकुलसचिव, श्री कपूर शंकर मान तथा वित्त नियंत्रक श्री पवन कसवां उनके गलत कार्यों में सहयोग प्रदान करने में असमर्थ हैं। _कुलपति, डॉ आर. पी. सिंहजी, अपने निजी स्वार्थों को सिद्ध करना चाहते हैं। इसी प्रक्रिया में अपने मनचाहे गैर कानूनी आदेशों को लागू कराने हेतु अनधिकृत रूप से लगाए गए विशेषाधिकारी विपिन लड्ढा ( STA), अतिरिक्त कुलसचिव डॉ आई पी सिंह तथा डिप्टी कुलसचिव डॉ वी. एस. आचार्य को बिना किसी अधिकृत पदों के अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए, गैर कानूनी तरीके से बनाए गए हैं ताकि कुलपति डॉ आर पी सिंह जी के जाने के बाद भी ये लोग लाभ प्राप्त कर सके जबकि सन 2000 में विश्वविद्यालय का राज्य सरकार के साथ हुये एमओयू के अनुसार राज्य सरकार की • अनुमति के बिना विश्वविद्यालय नए पद सृजित करने के लिए अधिकृत ही नहीं है।
4. यह कि डॉ मीनाक्षी चौधरी (प्रोफेसर EECM) कुलपति डॉ रक्षपाल सिंह, STA श्री विपिन लड्डा तथा अतिरिक्त कुलसचिव डॉ आई पी सिंह के खिलाफ FIR no. 130/2022 Women Harassment at Workplace के अंतर्गत धारा 354A, 354B, 354C, 354D थाना बीछवाल मे दर्ज कराई हुई है। अतः ये तीनों व्यक्ति कानूनन रूप से BOM मीटिंग को आयोजित अथवा भाग लेने के लिए सक्षम नहीं है, उसके बावजूद भी यदि ये करवाते हैं तो वह rabinitiovoid होगी।
5. यह कि उक्त मीटिंग अगले कुलपति को चुनने के लिए BOM की तरफ से सदस्य प्रस्तावित होना है, परंतु जानबूझकर इन्होने अपने हित साधने के लिए BoM मेम्बर्स को गुमराह करने के लिए इस agenda का खुलासा लिखित में नहीं किया है ताकि यह अपना मनचाहा अधिकारी नामित करवा सके।
6. यह कि नियमानुसार BoM की संरचना में 1-1 Dean/Director BoM का मेम्बर होता है परंतु इन्होंने अपनी स्वार्थसीद्धि के लिए 4 लोगों को Deans / Directors की श्रेणी मे डाल रखा है- डॉ एन एस दहिया .Dean Hanumangarh, डॉ पी के यादव निदेशक PME, Dr PS Shekhawat, DirectorResearch तथा डॉ विमला धुकवाल, अधिष्ठाता गृह विज्ञान के रूप में दर्शाया है जबकि आदेश क्र. एफ़ /एसकेआरएयू/स्था/2021/345 दिनांक 13.8.21 के तहत वर्तमान मे कुलपति स्वय DeanHome Science है। फिर डॉ विमला ढूंकवाल का BoM के सदस्य के रूप मे अंदर बैठना पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। इससे यह साबित होता है कुलपति अपनी मनमानी करने तथा अपने मनोवांछित व्यक्तिश स्वार्थ की सिद्धि हेतु अपने क्रियाकलापों को लागू करने के लिए लालायित हैं।
7. यह कि जहां एक ओर राज्य सरकार द्वारा नामित पदाधिकारी वित्त नियंत्रक तथा BoM मेम्बर को मीटिंग में नहीं बुलाना अपने आप मे कुलपति कि बदनीयती को दर्शाता है। मीटिंग में वित्त से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय होने होते हैं, ऐसी स्थिति में BoM की मीटिंग में वित्त नियंत्रक को ना बुलाकर वहीं दूसरी तरफ, कुलपति द्वारा स्वय विशेषाधिकारी के पद पर नियुक्त, तथा स्वय के द्वारा ही एक अराजपत्रित कर्मचारी STA श्री विपिन को BOM की अनुमति के बगैर BOM जैसी सर्वोच्च कमेटी की मीटिंग में आमंत्रित करना BOM की गरिमा को विच्छेद करता है। यह स्पष्ट रूप से वित्तीय घोटाला होना या करने कि मानसिकता को दर्शाता है जो कि कानूनन सही नहीं है इसलिए ऐसी परिस्थिति में यह मीटिंग तुरंत प्रभाव से स्थगित होनी चाहिए। साथ ही BoM की मीटिंग मे बोम मेम्बर्स के अलावा अन्य कोई भी अधिकारी/कर्मचारी बैठने के लिए अधिकृत नहीं है और न ही होना चाहिए।
8. कुलपति अपनी बदनियति को छुपाने तथा अपनी मनमानी करने के लिए ऑनलाइन मीटिंग भी करवाने का अंदेशा हैं परंतु जब इनका कार्यकाल समाप्ति कि ओर है तब ऑनलाइन मीटिंग की कोई सार्थकता नहीं रहती।महोदय, उपरोक्त समस्त बिंदुओं से यह साबित होता है कि बोर्ड ऑफ मनेजमेंट की मीटिंग उपरोक्त परिस्थितियों में कुलपति डॉ आरपी सिंह की अध्यक्षता में करवाना abinitiovoid है जो उनकी बदनियति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इसलिए यह मीटिंग तुरंत प्रभाव से निरस्त किए जाने योग्य है तथा 22 अगस्त22 के बाद ही इस मीटिंग को आयोजित करना ही न्याय संगत है क्योंकि उससे पहले आयोजित करना विश्वीद्यालय के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। साथ ही इसके आयोजित होने से कानूनी पेचीदगियो की भी संभावना है जो की किसी भी रूप से विश्वविद्यालय के हित में नहीं है। अतः आपसे निवेदन है कि इस बोम कि मीटिंग को तुरंत प्रभाव से निरस्त करने के आदेश दिये जाएँ।
मीनाक्षी चौधरी प्रोफेसर अध्यक्ष