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बीकानेर,अखिल भारतीय राष्ट्रैक्षिक महासंघ राजस्थान उच्च शिक्षा के व्याख्यान माला सीरीज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच वर्ष” विषय पर राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय एवं राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर में हुए व्याख्यान

राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय तथा राजकीय महाविद्यालय गंगा शहर में आज दिनांक 31 जुलाई 2025 को *नीति से परिवर्तन तक: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच वर्ष* विषय पर प्रेरक व्याख्यानों का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान उच्च शिक्षा की स्थानीय इकाइयों द्वारा आयोजित ‘नीति से परिवर्तन तक विषय पर केंद्रित था। जिसमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गत पांच वर्षों में हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों, नीतिगत अनुभवों एवं भावी संभावनाओं पर व्याख्यान सभी महाविद्यालयों में किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में आज महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय में कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित रहे तथा विशिष्ट अतिथि डूंगर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं संगठन के पश्चिम प्रांत के संयोजक प्रोफेसर दिग्विजय सिंह रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर छात्राओं ने सरस्वती वंदना की। कार्यक्रम के प्रारम्भ प्रो इन्दिरा गोस्वामी ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य प्रोफेसर उज्जवल गोस्वामी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र गौरव होना चाहिए, विद्यार्थी तथा शिक्षक केंद्रित होना चाहिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति करती हुई दिखाई देती है।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सिंह ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह शिक्षा नीति एक दीर्घकालिक नीति है जिसमें क्रमबद्ध तरीके से राष्ट्रहित के लिए विद्यार्थियों को तैयार किया जाएगा। कौशल संपन्न विद्यार्थी भारतीय परम्परा के ज्ञान से युक्त होकर तथा अंतरराष्ट्रीय ज्ञान को प्राप्त कर भारत का विश्व स्तर पर प्रतिष्ठापन करेंगे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित ने अपने व्याख्यान में विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि शिक्षा भारतीय हो तथा विद्यार्थी का समग्र विकास करने वाली हो, तभी हम पुनः विश्व गुरु की पदवी प्राप्त कर सकते हैं। ज्ञान केवल रोजगार के उद्देश्य से न होकर एक सभ्य नागरिक का निर्माण करने वाला होना चाहिए, यह सब बातें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ड्राफ्ट में दिखाई देती हैं। आचार्य दीक्षित ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता चुनौतियों तथा उनके समाधान का भी उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा में जिस भी वर्ग में ग्रॉस एजुकेशन रेशो में कमी है उस पर काम किए जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अंत में विभाग सह संयोजक प्रोफेसर हेमेन्द्र अरोड़ा ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन इकाई सचिव डॉ राधा सोलंकी ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ संकाय सदस्या प्रोफेसर अभिलाषा आल्हा,प्रो इंदिरा गोस्वामी, प्रोफेसर रेणु बंसल आदि समस्त संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ दिग्विजय सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का 66 पेज का डॉक्यूमेंट प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़ना चाहिए एवं इस नीति की बारीकियां को समझना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एकेडमिक बैंक का क्रेडिट के अंतर्गत विद्यार्थी के शैक्षिक उन्नयन के प्रत्येक चरण को उपलब्धि के रूप में दर्ज करने की व्यवस्था करती है। मल्टीपल एंट्री एग्जिट के अंतर्गत स्नातक स्तर के 4 वर्षों में से प्रत्येक वर्ष की उपलब्धि को स्वीकार करती है तथा क्रमशः पहले वर्ष में सर्टिफिकेट, 2 वर्ष पूर्ण करने पर डिप्लोमा, 3 वर्ष पूर्ण करने पर डिग्री तथा 4 वर्ष पूर्ण करने पर ऑनर्स एवं शोध की पात्रता प्रदान करती है। यह व्यवस्था महिलाओं के ड्रॉपआउट को देखते हुए उनकी उच्च शिक्षा को सुनिश्चित करने वाली है। प्राचार्य डॉ बबिता जैन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा में भारतीयता लाने एवं साथ ही 21वीं शताब्दी की चुनौतियां का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है। जिस प्रकार सफेद मैदा, सफेद चावल, सफेद चीनी, और सफेद नमक के त्याग से भोजन में भारतीयता सुनिश्चित होती है उसी प्रकार प्रकृति से दूर बंद कक्षा कक्ष में शिक्षण, सभी विद्यार्थियों के लिए एक जैसा पाठ्यक्रम, कौशल विहीन शिक्षा तथा विदेशी भाषा में शिक्षा इनका त्याग करने से शिक्षा में भारतीयता सुनिश्चित होगी। कार्यक्रम का संचालन इकाई सचिव श्री मोहित शर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर शशिकांत की ऊर्जावान उपस्थिति रही।

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