Trending Now












बीकानेर,प्रज्ञालय संस्थान द्वारा हिन्दी साहित्य के महान् कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर एक व्याख्यान का आयोजन लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में रखा गया।

प्रज्ञालय संस्थान के कार्यक्रम प्रभारी कवि गिरिराज पारीक ने बताया की व्याख्यान विषय ‘गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस की प्रासंगिकता’ पर अपने विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास रचित ग्रंथ भारतीय ज्ञान परंपरा का महत्वपूर्ण काव्य है, जिसकी प्रासंगिकता आज के दौर में और अधिक है और आने वाले कल भी रहेगी, क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास ने इस काव्य के माध्यम से मानव जीवन के सभी उज्ज्वल पक्षों को खोलकर रखा है। वहीं भारतीय जीवन शैली और जीवन मूल्यों को जिस रूप में राम को केन्द्र में रखकर स्थापित किया है, वो आज नहीं हमेशा अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखेंगे। व्याख्यान उपरांत व्याख्यान के संदर्भ में सहभागियों ने अपनी जिज्ञासा रखते हुए कुछ बुनियादी सवाल रखे। जिनमें प्रमुख रूप से शिक्षाविद् भवानी सिंह, संजय सांखला, कवि गंगाबिशन बिश्नोई, नवनीत व्यास, सुनील व्यास के साथ-साथ कई छात्र/छात्राओं अदिति ओझा, आनंदी ओझा, भारत सारस्वत, केशव छंगाणी आदि थे।
रंगा ने सवालों के जवाब देते हुए बताया कि रामचरितमानस में 1073 दोहे है जो सात काण्ड में विभाजित है। इसी तरह रंगा ने कहा कि रामचरितमानस में 12800 पंक्तियां है। एक सवाल के जवाब में बताया कि रामचरितमानस की रचना विक्रम संवत् 1631 में शुरू हुई थी। यह महाकाव्य अयोध्या, वाराणसी और चित्रकुट में रचा गया। उनका देवलोक गमन अस्सी घाट वाराणसी में हुआ। इसी तरह रंगा ने बताया कि
नरहरिदास तुलसीदास जी के गुरू माने जाते है। यह ग्रंथ अवधी भाषा में है, जो कि विश्व काव्य में एक महान् कृति है।
व्याख्यान का संचालन कवि गिरिराज पारीक ने किया एवं सभी का आभार युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।

Author