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बीकानेर,आज वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के अवसर पर पर्यावरण विज्ञान विभाग, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा विश्वविद्यालय सभागार में व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विश्व विद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार छंगाणी ने वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे –2022 के थीम के अनुसार “वन्यजीव संरक्षण में परंपरागत स्रोतों की आवश्यकता” विषय पर व्याख्यान दिया।

प्रो. छंगाणी मैं वन्य जीव संरक्षण में स्थानीय लोगों के साथ परंपरागत स्रोतों जैसे ओरण, गोचर, नाडी, तालाब, आगोर, जोहड़ और पायतन आदि के योगदान पर प्रकाश डाला। तथा बताया कि किस तरह से कोविड महामारी में थार मरुस्थल के लोगों, मवेशियों और वन्यजीवों को इन परंपरागत श्रोताओं जैसे ओरण, गोचर, नाडी, तालाब, जोहड़, आगोर व पायतन ने भोजन, चारा और पानी उपलब्ध कराया, जिसके चलते थार मरुस्थल के लोगों के न्यूट्रिशन और इम्यूनिटी को बनाए रखा। नतीजा देश व दुनिया की तुलना में थार मरुस्थल के लोगों मैं कोविड महामारी से होने वाली मृत्यु दर कम थी, व रिकवरी रेट ज्यादा थी।
प्रो. छंगाणी ने बताया कि आज विकास की अंधी दौड़ में इन परंपरागत स्रोतों को बचाने की महती आवश्यकता है। जिससे हम आने वाली चुनौतियों और महामारियो से खुद को बचा पाए। साथ ही जिस तरह से हमारे पूर्वजों ने इन परंपरागत स्रोतों जैसे ओरण, गोचर, नाडी, तालाब, जोहड़, आगोर व पायतन को संरक्षित किया हमें भी आने वाली पीढ़ी के लिए इन्हें बचाना आवश्यक है।
ऐसा कर परंपरागत स्रोतों के साथ हमारी जैवविविधता और वन्यजीव को भी बचा पाएंगे।

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