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बीकानेर,लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के 300 वें जन्म जयंती वर्ष में उनके जीवन वृत्त को जानने, समझने और विविध क्षेत्रों में उनके अवदानों का पुण्यस्मरण कर उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के दृष्टिकोण से अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघके द्वारा विभिन्न महाविद्यालयों में आयोजित करवाए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज राजकीय डूँगर महाविद्यालय बीकानेर में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। मां सरस्वती की प्रतिमा तथा लोकमाता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात विषय प्रवर्तन करते हुए आचार्य शशिकांत जी ने लोकमाता के जीवन वृत्त से उनके जीवन के प्रेरक प्रसंगों को उद्धृत कर परिचित करवाया। मुख्य वक्ता डाक्टर प्रभा जी भार्गव ने लोकमाता अहिल्याबाई के बाल्यकाल से लेकर यशस्वी महारानी के रूप में उनके जीवन से संबद्ध विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर भारतीय नारी शक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण हैं और कृतित्व इतिहास में भारतीय नारी को “अबला” बताये जाने के भ्रम को दूर करता है। उन्होंने अहिल्याबाई के द्वारा भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना के लिए किए गए कार्यों का उद्धरण दिया। उन्होंने अहिल्याबाई को एक कुशल प्रशासिका के रूप में वर्णन करते हुए बताया कि स्वयं के पुत्र को दंड देने में भी माँ का वात्सल्य आड़े नहीं आया। उन्होंने अहिल्याबाई के द्वारा कृषि क्षेत्र , वस्त्र निर्माण, स्त्री शिक्षा एवं न्याय प्रणाली के विकास कार्यों का विस्तार से वर्णन किया।

उन्होंने कहा कि आज हम सभी भारतीय २०४७ में विकसित भारत की जो संकल्पना रखकर कार्य कर रहे है उसमें लोकमान्य अहिल्याबाई होल्कर के कार्य प्रेरणादायक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य इंद्र सिंह राजपुरोहित जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय चिंतन में नारी को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उसे “देवता” माना जाता है। इकाई सचिव डाक्टर नरेंद्र कुमार में सभी का धन्यवाद प्रेषित किया।
कार्यक्रम में डूँगर महाविद्यालय, राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर , राजकीय विधि महाविद्यालय बीकानेर एवं राजकीय महाविद्यालय कोलायतके संकाय सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन आचार्य मातृदत्त शर्मा ने किया।

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