बीकानेर,हौसला मजबूत हो तो उड़ान रोकी नहीं जा सकती. इसको सार्थक करती है बीकानेर की गुड़िया की कहानी. इतना ही नहीं, जिस भट्टी की ताप में मजबूत लोहा भी पिघल जाता है, उसी भट्टी के किनारे अपने हुनर को गुड़िया ने कुंदन की तरह निखारा.
अब वह न सिर्फ आत्मविश्वास से भरी नजर आती है, बल्कि परिवार के आर्थिक ढांचे का एक मजबूत स्तंभ भी है. कहानी की शुरुआत कुछ यूं है कि गुड़िया भी बरसों पहले जब ब्याह कर आई थी, तो आम घरेलू महिला जैसी ही थी. घर के काम काज निपटाना उसकी रोजमर्रा की दिनचर्या थी. बीकानेर के शीतला गेट के पास रहने वाली गुड़िया बताती है कि उसका पति भुजिया कारीगर है. पहले वह बीकानेर से बाहर भुजिया बनाता था, लेकिन पिछले 10 साल से पति ने यह काम बीकानेर में ही शुरू कर दिया.
गुड़िया के मुताबिक, वह देखती थी कि उसका पति अकेले भरी गर्मी और सर्दी में भुजिया बनाने के काम में लगा रहता है. एक दिन उसके भी दिमाग में आया कि वह भी पति के काम को साझा करे. उन्हें कुछ मदद पहुंचाए. कुछ दिन तक उसने बिना बताए पति के काम को करीबी से देखा. फिर एक दिन उसने भुजिया बनाना शुरू कर दिया. उनकी जिज्ञासा और रुचि देखकर पति ने भी हौसला बढ़ाया और उन्हें सिखाते रहे. गुड़िया के पति कालूराम खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. कहते हैं कि महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. बशर्ते इनके मनोबल को बढ़ाते रहें. उनकी पत्नी ने यह बात साबित की है. सुबह पांच बजे जब वह काम शुरू करते हैं, तो उनकी पत्नी इस काम में उनके साथ होती है. इतना ही नहीं, कढ़ाई में जैसे ही तेल गर्म हुआ, वह मोठ के गिलोय को मोटी छलनी से घिसना भी शुरू कर देती है. पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने का नतीजा सामने है कि परिवार की आर्थिक आय भी बढी है.