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बीकानेर,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी को नई ज़िम्मेदारी के लिए बधाई दी और जनता से जुड़े कामों में सक्रियता दिखाने के निर्देश दिए. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार बजट सत्र शुरू होने के साथ ही लंबे समय से रुकी राजनीति नियुक्तियां को हरी झंडी दे दी. प्रदेश के सियासी समीकरण साधते हुए 44 बोर्ड, निगम और आयोगों में पार्टी ​के 58 नेताओं को नई जिम्मेदारी सौंपी है।हालांकि, सरकार ने राजनीतिक नियुक्ति वाले नेताओं को लाभ का पद नहीं देने का फैसला किया है. यानी विधायकों को मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा और ना ही किसी तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद यह आदेश लागू किया गया है।विधायकों को सिर्फ बोर्ड/निगम/आयोग के प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई है. राजनीति नियुक्तियां पाने वालों में 11 वरिष्ठ विधायक, चार पूर्व विधायक, दो पूर्व सांसद समेत कुल 58 नेता शामिल हैं. इन सभी को सरकार के स्तर पर सुविधा/दर्जे के आदेश जारी नहीं किए जाएंगे.हालांकि,गैर विधायक नेताओं को सुविधा व दर्जा मिलेगी.
मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक के बाद गहलोत कैबिनेट ने यह फैसला लिया है. प्रदेश में राजनीतिक नियुक्ति वाले पदों पर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी को नई ज़िम्मेदारी के लिए बधाई दी. जनता से जुड़े कामों में सक्रियता दिखाने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री गहलोत ने राजनीतिक नियुक्ति वाले नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सभी की सहमति से नियुक्ति हुई है. सभी वर्गों को ध्यान में रखकर ये नियुक्ति हुई है. फिर से सरकार बनाने के उद्देश्य से जन हित का काम करे. गहलोत ने कहा -युवाओं को नियुक्ति में भागीदारी मिली है. सबसे खास बात है कि 30 साल के सतबीर को सीधे छात्र राजनीति से नियुक्ति मिली
इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सभी नवनियुक्त नेताओं को भी संबोधित किया है. कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि 2023 में सरकार रिपीट कराने के लिए सभी नवनियुक्त नेता अभी से काम में जुट जाए. नेता गाड़ी घोड़े लेकर नहीं बल्कि जनता के घर जाकर सीधे उनसे मुलाकात कर सरकार की उपलब्धियां बताएं और उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए हर संभव मदद करें. लंबे इंतज़ार के बाद मिली नियुक्ति से बेहद खुश नजर आए सभी नेता.

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