
बीकानेर, वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि संस्मरण विधा साहित्य के साथ-साथ इतिहास भी होती है। संस्मरण में वर्णित घटनाओं-व्यक्तियों के गुण-दोष स्पष्ट रूप से पाठकों के सामने आने चाहिए। ओळूं रै ओळावै पुस्तक के माध्यम से लेखकों-शोधार्थियों को साहित्यिक-इतिहास लेखन के लिए स्त्रोत सामग्री मिलेगी।
डाॅ. आचार्य शुक्रवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी व वीणा कला केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में अकादमी सभागार में आयोजित स्व. शिवराज छंगाणी के राजस्थानी संस्मरण-संग्रह ओळूं रै ओळावै के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डाॅ. आचार्य ने कहा कि लोकजीवन उनमें रचा-बसा था। उन्होंने स्व. छंगाणी से जुड़े अनेक संस्मरण भी सुनाए।
कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार-पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि राजस्थानी में कथेतर साहित्य बहुत कम लिखा गया है। इस दृष्टि से स्व. छंगाणी ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने अकादमी अध्यक्ष के रूप में भी अनुकरणीय कार्य किया। आचार्य ने स्व. छंगाणी की अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाशित करने की आवश्यकता जताई। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि इस पुस्तक ने संस्मरण विधा को समृद्ध किया है। यह पुस्तक शिल्प विधान का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करती है। स्व. छंगाणी ने वास्तविक व तटस्थ भाव से लेखन किया है।
अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि स्व. छंगाणी ने साहित्य की सभी विधाओं पर अपनी कलम चलाई। इस पुस्तक में सम्मिलित साहित्यकारों के व्यक्तित्व-कृतित्व के साथ तत्कालीन समय-परिस्थितियों की भी जानकारी मिलती है। डाॅ. कृष्णा आचार्य ने पत्रवाचन करते हुए कहा कि इस पुस्तक से नये लेखकांे को प्रेरणा मिलेगी। लेखकीय परिचय देते हुए डाॅ. ब्रजरतन जोशी ने कहा कि स्व. छंगाणी ने लेखक, आदर्श शिक्षक, प्रशासक के रूप मंे अपनी अलग छाप छोड़ी। वे अत्यंत सहज, सरल, निश्छल थे। लोकगायक सुशील छंगाणी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ संचालक ज्योति प्रकाश रंगा ने किया। इससे पहले अतिथियों ने स्व.छंगाणी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर एन. डी. रंगा, इन्द्र छंगाणी, डाॅ. बसन्ती हर्ष, मुकेश व्यास, डाॅ. गौरीशंकर प्रजापत, योगेन्द्र कुमार पुरोहित, सरोज भाटी, गोपाल कुमार व्यास, बिशन मतवाला, महेन्द्र कुमार जोशी, अंजली टाक, कानसिंह, रोहित कुमार स्वामी, योगेश राजस्थानी, डाॅ. नमामी शंकर आचार्य, आशीष छंगाणी, विप्लव व्यास, आशीष व्यास, भरत तंवर, आनन्द छंगाणी, मुकेश छंगाणी, गिरिराज छंगाणी, लक्ष्मण पारीक, मारूति कुमार किरायत, शरद छंगाणी, हरीश भाटी, विनोद व्यास, महेश कुमार छंगाणी, सुरेन्द्र छंगाणी, सोना छंगाणी, ज्योतिबाला भादाणी, अमित कुमार छंगाणी, श्याम भादाणी, चन्द्रेश शर्मा उपस्थित थे।











