बीकानेर,मौत का ब्याज माफिया बड़ा कारण है। मौत का ब्याज इसलिए कि इन माफियाओं की ब्याज दर इतनी अधिक होती है जिसमें फंसने के बाद बर्बादी और मौत ही अंतिम परिणाम बन जाता है। बीकानेर सहित राजस्थान भर में वक्त के सताए लाखों-लाखों लोग इन ब्याज माफियाओं के चंगुल में फंसकर तिल तिल मर रहे हैं। हालात यह है कि पुलिस थानों तक में इनके खिलाफ फरियाद नहीं सुनी जाती उल्टा पीड़ित को ही ज्ञान दिया जाता है। हालांकि उच्चाधिकारी ऐसे हालातों से चिंतित हैं।
बीकानेर की बात करें तो यहां के हर थाना क्षेत्र में मौत का ब्याज माफियाओं की बड़ी बिरादरी है। केईएम रोड़ के खजांची मार्केट, गणपति प्लाजा, जैन मार्केट, भैरूंजी की गली, मोडर्न मार्केट, हनुमानहत्था, पुरानी गिन्नाणी, भुट्टों का चौराहा, पूगल रोड़, कोठारी अस्पताल के पीछे, बंगला नगर, मुक्ताप्रसाद, सुभाषपुरा, मुरलीधर, विश्नोई बास, मालियों का मोहल्ला, भाटों का बास, गोकुल सर्किल, नत्थूसर गेट, बारहगुवाड़ चौक, दम्माणी चौक, डागा चौक, मोहता चौक, बड़ा बाजार, रांगड़ी, बैदों का चौक, कोचरों का चौक से सुनारों की गुवाड़, जेल रोड़, रेलवे स्टेशन के सामने, गोगागेट, रानी बाजार, तिलक नगर, कांता खतूरिया, जयपुर रोड़, पवनपुरी, गंगाशहर, भीनासर, सुजानदेसर, किसमीदेसर, चोपड़ा बाड़ी, नोखा रोड़, सिने मैजिक रोड़ सहित नोखा, श्रीडूंगरगढ़, लूणकरणसर, कोलायत आदि इलाकों में मौत के ब्याज का धंधा बड़े पैमाने पर हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार केवल बीकानेर सिटी में ही हर माह 30-35 करोड़ रूपए के मौत के ब्याज का धंधा हो रहा है। वहीं जिले में यह धंधा प्रतिमाह 100 करोड़ से ज्यादा का है। वहीं प्रदेशभर में यह धंधा हर माह कम से कम ढ़ाई हजार करोड़ से अधिक का होता है। हालांकि मौत के ब्याज का यह ख़तरनाक धंधा इतना अधिक फैल चुका है कि पुख्ता अनुमान लगाना ही मुश्किल है लेकिन हमारी पड़ताल के अनुसार न्यूनतम इतना धंधा होता है। हमारी पड़ताल में ऐसे ऐसे ब्याज माफियाओं की कुंडली सामने आई है जो ऊपरी तौर पर तो समाजसेवी बनकर वाहवाही लूट रहे हैं, जबकि अंदर खाने गरीबों और मजबूरों का खून चूसने का काम कर रहे हैं। आत्महत्या की अधिकतर घटनाएं इन ब्याज माफियाओं की प्रताड़ना का ही परिणाम है। इन्हीं ब्याज माफियाओं के चंगुल में फंसे लोग ही चोरी, छीनाझपटी, लूट, डकैती, हत्या व ठगी जैसे अपराध कर रहे हैं।
पता चला है कि ये माफिया 3 रूपए सैकड़े से लेकर 60 रूपए सैकड़े तक का धंधा कर रहे हैं। इससे अधिक ब्याज दर लेने की बात भी सामने आई है मगर फिलहाल 60 रूपए सैकड़े की ही पुष्टि हुई है। बता दें कि ब्याज माफियाओं के सिस्टम में एक लाख पर जब एक हजार रूपए होता है तो उसे एक रूपया सैकड़ा कहते हैं, हालांकि बैंक का सिस्टम थोड़ा अलग होता है। ऐसे में वर्तमान में ब्याज माफिया एक लाख रुपए पर एक माह का तीन हजार रूपए से साठ हजार रूपए तक ले रहे हैं। प्रतिशत की गणना में यह ब्याज साठ रूपए मासिक से भी ऊपर जा सकता है। वजह, कुछ ब्याज माफिया एक लाख रूपए देते हैं, बदले में रूपए ना चुकाने तक रोज दो हजार रूपए ब्याज लेते हैं।इन ब्याज माफियाओं के चंगुल में फंसने वाले लोगों को कुछ दिनों बाद ब्याज चुकाने के लिए भी मौत के ब्याज पर पैसा लेना पड़ता है। यह जाल इतना जटिल है कि सोने चांदी की ब्रिक्री से लेकर जमीन जायदाद मकान तक बिकवा देता है। इसके बाद भी पैसा ना चुका पाने की वजह से मौत को गले लगाना पड़ जाता है।
हम मौत का ब्याज माफिया अभियान शुरू कर रहे हैं। अगर आप भी इस ब्याज के चंगुल में फंस चुके हो तो हमसे संपर्क कीजिए। हमसे संपर्क करने के लिए आप 9414283722 पर कॉल कर सकते हैं। या न्यूज़ दे सकते है हम आप की पहचान गुप्त रखेंगे और आपकी हम आवाज उठाएंगे।