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बीकानेर,जमीन के अधिकार की लड़ाई में पसीने पुलिस के छूट रहे हैं। जिले में कहीं न कहीं जमीन की दावेदारी को लेकर दो पक्ष आमने-सामने हो रहे हैं। इतना ही नहीं वर्षों से काबिज व्यक्ति को हटाकर दूसरे लोग जमीन की दावेदारी कर रहे हैं। जमीन विवाद को लेकर जिले में कई बार खूनी संघर्ष तक हो चुके हैं, जिनमें कइयों की जान जा चुकी है। जमीन विवाद के बढ़ते मामलों से पुलिस की टेंशन भी बढ़ रही है।

पिछले पांच सालों में बढ़ रहे विवाद
जिले में पिछले पांच सालों में जमीन विवाद के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पुलिस के पास दर्ज होने वाले मामलों में 25 से 35 फीसदी जमीन को लेकर मामले दर्ज हो रहे हैं। इन मामलों में एक ही जमीन को दो बार बेचना, एक पक्ष का उस जमीन पर अपना हक बताना, जमीन के फर्जी कागजात तैयार करना, कूटरचित दस्तावेज से जमीन बेचना व रजिस्ट्री करवाना, जमीन का कब्जा किसी के पास और कागजात किसी के नाम है। इतना ही नहीं एक ही जमीन की दावेदारी कई जने कर रहे हैं।

यह कहते हैं पुलिस के आंकड़े
जमीन संबंधी विवादों को लेकर जिला पुलिस के आंकड़े कुछ और ही हालात को बयां करते हैं। एक जनवरी, 2022 से वर्ष 2023 तक जिले के विभिन्न थानों में जमीन संबंधी 276 मामले दर्ज हुए है। पुलिस जांच में 115 फर्जी पाए गए। 140 में एफआर लग गई वहीं 21 के चालान कर दिए गए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जमीन संबंधी मामले द्वेष के चलते दर्ज कराए जाते हैं। जमीन संबंधी केवल पांच फीसदी ही मामले सही होते हैं। शेष मामले बदनीयति से कराए जाते हैं।

केस एक :- बीछवाल थाना क्षेत्र के कानासर की रोही में दो सगे भाइयों बाबूलाल व राकेश पर परिवार के ही लोगों ने लाठी-सरियों से हमला किया, जिससे दोनों गंभीर घायल हो गए। झगड़े की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। घायलों को पीबीएम अस्प्ताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने राकेश को मृत घोषित कर दिया। उक्त दोनों पक्षों के बीच में जमीन का विवाद चल रहा था। मामला पांच साल पुराना है।

केस दो :- खाजूवाला के 23 केजेडी में जमीनी के विवाद को लेकर एक दर्जन लोगों ने खेत में काम कर रहे दो व्यक्तियों पर हमला कर दिया। हमले में कृष्णलाल जाट गंभीर घायल हुआ, जिसे पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। यह मामला करीब तीन साल पहले का है।

केस तीन :- नोखा थाना क्षेत्र के पारवा गांव में जमीन विवाद को लेकर दो परिवारों में खूनी संघर्ष हो गया। यह संघर्ष पारवा के रासीसर रोही तालरिया बास में रहने वाले दो परिवारों के बीच हुआ। खूनी संघर्ष में 40 वर्षीय हंसराज गोदारा की मौत हो गई। हंसराज की हत्या उसी के भतीजे ने कर दी थी।

केस चार :- नोखा में जमीन विवाद को लेकर चाचा-भतीजों में झगड़ा। झगड़े में आठ लोग घायल हो गए। गनीमत रही कि इसमें किसी की मौत नहीं हुई। झगड़ा नोखा के कुम्हारों के चौक िस्थत भूखंड को लेकर हुआ। सरेआम फिल्मी स्टाइल में हुए झगड़े का वीडियो भी खूब वायरल हुआ था।

केस पांच :- जेएनवीसी थाना क्षेत्र के अरिहंत नगर में पुलिस विभाग से सेवानिवृत शिशुपाल सिंह ने इकरारनामे के जरिए वर्ष 2007 में एक भूखंड खरीद किया। इसी भूखंड को बेचने वाले ने कुछ सालों बाद फिर से अपनी दावेदारी जता दी और दूसरे को बेच दिया। पीडि़त ने थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। भूमाफिया पीडि़त शिशुपाल को भूखंड खाली करने व जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं।

जमीन के अधिकार की लड़ाई
जमीन संबंधी मामलों में पुलिस विवाद ना बढ़े इसके पूरे प्रयास करती है। कई बार विवाद होते हैं तो दोनों पक्षों के मामले दर्ज कर निष्पक्ष जांच करती है। अधिकतर मामले जमीन के अधिकार को लेकर ही दर्ज होते हैं। जमीन संबंधी विवादों में कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना रहती है। जमीनी विवाद में कइयों की जान भी जा चुकी है। 15 महीने में 276 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 255 पुलिस जांच में फर्जी पाए गए।
तेजस्वनी गौतम, पुलिस अधीक्षक

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