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बीकानेर स्कूली पढ़ाई के दौरान पेंसिल से ड्राइंग करते करते चित्रकारी में ऐसी महारत हासिल की कि आज कुंतल चौधरी की पेटिंग की विदेशों में लाखों रुपए में बोली लगती है। पेटिंग का विषय भारतीय संस्कृति और हिन्दू देवी देवताओं को केन्द्र में रखकर तय करती हैं। वह अपनी कला के साथ भारतीय सामाजिक और धार्मिक संस्कृति को भी दुनियाभर में लोगों को बता रही है। साल 2013 से अमेरिका में रह रहीं कुंतल हाल ही में भारत लौटी है।

कला जीवन में विशेष क्षण तब आया, जब नामी चित्रकार एसएच राजा से साल 2011 में उनके स्टूडियो में मिली। सैन फ्र सिस्को के फोर्ट मेशन में लोकनृत्य पेटिंग दस लाख रुपए और द्रोपदी पेटिंग सात लाख रुपए में बिकी।

कुंतल ने बताया कि अमेरिका जाने के बाद वह दूसरी बार भारत आई है। इस बार बीकानेर में अपने माता-पिता के सहयोग से युवाओं से संवाद और स्कूली बच्चों को स्केच एवं पेटिंग सिखाने में समय व्यतीत करेंगी। चित्रकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का मार्गदर्शन भी कर रही है। उनकी पेटिंग के केन्द्र में वह भारतीय पुराणों और राजस्थानी संस्कृति को रखती हैं। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी पसंद भी किए जाते हैं।

तूलिका के माध्यम से अपनी कला यात्रा की मंजिलें तय करना 27 वर्षीय कुंतल का जुनून है। रंग जिनके मन के कोमल तंतू को स्पर्श करते हैं। उनके पिता सुरेश चन्द्र चौधरी व्यवसायी हैं और माता चन्द्रकला चौधरी गृहणी। कॉलेज की पढ़ाई कैलिफोर्निया अमेरिका में डिजाइन में स्नातक के रूप में की। अमेरिकी यूनिवर्सिटी से स्नातक डिग्री मैग्ना कम लाउडे उपाधि के साथ की।

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