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बीकानेर,देवीकुंड सागर के कल्ला कोठी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के साथ साथ रासलीला का आयोजन भी किया जा रहा है। श्रीकृष्ण द्वारा देवराज इंद्र के अभिमान को मिटाकर गिरिराज गोवर्धन की पूजा का सुंदर मंचन किया गया, जिसमें ब्रजवासियों ने इंद्र पूजा की जगह गोवर्धन गिरिराज की पूजा की। रासलीला में श्रीकृष्ण की अनेक लीलाओं का मंचन देख दर्शक आनन्दमय हो उठे।
आयोजन समिति से जुड़े कैलाश आचार्य ने बताया चौथे दिन मंचन में दिखाया गया कि मीराबाई के बाल मन में कृष्ण की ऐसी छवि बसी थी कि मृत्यु तक उन्होंने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना। एक अन्य प्रसंग में भगवान श्री कृष्ण अपनी प्रियतम श्री राधा रानी के दर्शन के लिये मोर कुटी पर पहुंचे। जहां मोर लीलाओं का मंचन भी हुआ। रासलीला के दौरान देवीकुंड सागर में वातावरण कृष्णमय हो गया।
आचार्य ने बताया श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन करपात्री स्वामी निरंजन देव तीर्थ कीर्ति प्रन्यास,राम लक्ष्मण भजनाश्रम के अधिष्ठाता दंडी स्वामी श्रीधरानंद जी सरस्वती ने कथा में श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। महाराज श्री ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। महाराज ने कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नही मानते है, लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत ,रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी।

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